देश में अब दो टीके के इस्तेमाल के लिए आख़िरी मंजूरी भी मिल गई है। यानी अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी दे दी। इसका मतलब है कि अब आम लोगों के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए आख़िरी मुहर भी लग गई है। इस हफ़्ते टीकाकरण अभियान शुरू होने की उम्मीद है। विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को 1 जनवरी और भारत बायोटेक की वैक्सीन को 2 जनवरी को हरी झंडी दे दी थी।
सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की वैक्सीन के लिए क़रार किया है और उसी वैक्सान के लिए इसने आवेदन किया था। सीरम इंस्टीट्यूट ने इसे कोविशील्ड ना दिया है। भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के लिए मंजूरी माँगी थी।
डीसीजीआई के वीजी सोमानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन यानी सीडीएससीओ सीरम और भारत बायोटेक के कोविड वैक्सीन पर विशेषज्ञ समिति की सिफ़ारिश को स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि दोनों वैक्सीन को 'सीमित इस्तेमाल' के लिए मंजूरी दे दी गई है।
इससे पहले विशेषज्ञों के पैनल ने शनिवार को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और शुक्रवार शाम को कोविशील्ड को मंजूरी दे दी थी। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की इस वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने आपात मंजूरी मांगी थी। एक्सपर्ट पैनल ने रिपोर्टों की समीक्षा के बाद दोनों वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी माना।
वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की जंग में एक निर्णायक क्षण!
— Narendra Modi (@narendramodi) January 3, 2021
@SerumInstIndia और @BharatBiotech की वैक्सीन को DCGI की मंजूरी से एक स्वस्थ और कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा।
इस मुहिम में जी-जान से जुटे वैज्ञानिकों-इनोवेटर्स को शुभकामनाएं और देशवासियों को बधाई।
यह गर्व की बात है कि जिन दो वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है, वे दोनों मेड इन इंडिया हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। वह आत्मनिर्भर भारत, जिसका आधार है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
— Narendra Modi (@narendramodi) January 3, 2021
बता दें कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने शनिवार को ड्राई रन किया। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह ड्राई रन किया गया। केंद्र सरकार की ओर से सभी से कहा गया था कि वे अपनी राजधानी में कम से कम तीन जगहों पर प्रक्रिया को करें। कुछ राज्यों ने राजधानी से बाहर के जिलों में भी इस प्रक्रिया को किया।
ड्राई रन से मतलब है टीकाकरण अभियान से पहले की तैयारी। साफ़ कहें तो यह एक पूर्वाभ्यास है। यह देखने के लिए कि टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन को स्टोर करने, एक जगह से दूसरी जगह ढोने, सुरक्षित रखने जैसी व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं।
वैक्सीन को मंजूरी मिलने से पहले ही सीरम इंस्टीट्यूट ने पहले से ही बड़ी संख्या में वैक्सीन बनानी शुरू कर दी थी। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट काफ़ी तेज़ी से वैक्सीन बना सकता है।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि सरकार को वैक्सीन की एक डोज 3-4 डॉलर की पड़ेगी। यानी क़रीब 300 रुपये। लेकिन आम लोगों के लिए यह 4-5 डॉलर का ख़र्च आएगा। यानी क़रीब 500-600 रुपये। वैक्सीन की दो डोज के लिए इसके दोगुने रुपये लगेंगे। कंपनी ने कहा है कि दो डोज कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ज़रूरी होगी। हालाँकि भारत बायोटेक की ओर से क़ीमतों को लेकर कुछ साफ़ तौर पर नहीं कहा गया है।
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