देश में 16 सितंबर को क़रीब 98 हज़ार कोरोना संक्रमण के मामले आए थे, लेकिन क़रीब एक महीने में 13 अक्टूबर को संक्रमितों की संख्या क़रीब 55 हज़ार ही रही है। पिछले एक महीने में हर रोज़ आने वाले कोरोना संक्रमण के मामले औसत रूप से कम होते जा रहे हैं और यह संख्या आधे के आसपास पहुँच गयी है। इसके क्या संकेत हैं? क्या कोरोना संक्रमण ढलान पर है और इस वजह से निश्चिंत हुआ जा सकता है? या कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि संक्रमण का दूसरा फेज आए और वह पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैले?
क्या केरल में कोरोना की स्थिति इस आशंका को बल नहीं देता है जहाँ कोरोना नियंत्रण के लिए दुनिया भर में चर्चा हो रही थी वहाँ अभी रिकॉर्ड पॉजिटिव केस आ रहे हैं। दक्षिण भारत के कई राज्यों की ऐसी ही स्थिति है। दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों में भी दूसरा फेज आया था। कई देशों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कम ख़तरनाक नहीं रही है। ऐसी आशंका भारत के लिए भी विशेषज्ञ जता चुके हैं कि प्रदूषण बढ़ने पर संक्रमण कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैलेगा।
इन आशंकाओं से परे ताज़ा आँकड़े भारत में कोरोना संक्रमण के कम होने की तसवीर पेश करते हैं। एक अक्टूबर के बाद से भारत में हर रोज़ कोरोना संक्रमण के मामले 80 हज़ार से नीचे ही रहे हैं। पिछले सात दिनों का औसत निकाला जाए तो हर रोज़ संक्रमण के मामले 70 हज़ार के आसपास रहता है। जबकि 16 सितंबर के आसपास एक हफ़्ते में औसत रूप से 93 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे। यानी सितंबर महीने में कोरोना बेलगाम दिख रहा था। इससे पहले अगस्त महीने में ही हर रोज़ भारत में दुनिया में सबसे ज़्यादा मामले आने शुरू हो गए थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को कहा है कि क़रीब 87% लोग ठीक हो गए हैं और 11.69% ही फ़िलहाल संक्रमित हैं। उनके अनुसार भारत में कोरोना पॉजिटिविटी दर लगातार नीचे की ओर है। वह कहते हैं कि 62 लाख से ज़्यादा लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और क़रीब साढ़े आठ लाख लोग ही फ़िलहाल संक्रमित हैं।
भले ही ये आँकड़े संक्रमण कम होने की ओर इशारा करते हों लेकिन क्या कोरोना संक्रमण के फिर से तेज़ी पकड़ने की आशंका नहीं बनी रहेगी? इस मामले में केरल का उदाहरण सामने है। देश में कोरोना वायरस का सबसे पहला पॉजिटिव मामला केरल में 30 जनवरी को आया था और शुरुआत में संक्रमण तेज़ी से फैला भी। बढ़िया तैयारी और सरकार की सक्रियता से कोरोना नियंत्रित हो गया। वहाँ 7 मई को एक भी नया मामला नहीं आया था। एक तरह से वहाँ संक्रमण के मामले न के बराबर आ रहे थे, लेकिन अब स्थिति वहाँ बदल गई है। हर रोज़ संक्रमण के मामले क़रीब 8 हज़ार आ रहे हैं। सोमवार को ही वहाँ कोरोना संक्रमण के 7836 मामले सामने आए। फ़िलहाल राज्य में 94 हज़ार से ज़्यादा संक्रमित हैं। स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के 11 फ़ीसदी सक्रिय केस सिर्फ़ केरल में हैं।
देश में केरल के अलावा, कर्नाटक, तमिलनाडु और आँध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति है। कर्नाटक में 13 फ़ीसदी सक्रिय केस हैं। महाराष्ट्र में तो शुरू से ही कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं और इसलिए वहाँ 25 फ़ीसदी सक्रिय केस हैं।
बिना लॉकडाउन के ही कोरोना को हराने में दक्षिण कोरिया ने पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। लेकिन अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आता दिख रहा था। कोरोना के जो 91 मरीज ठीक होकर घर जा चुके थे उनका कोरोना टेस्ट फिर से पॉजिटिव आया था। इस मामले पर 'कोरिया सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल' के निदेशक का कहना था कि इन मामलों को देख कर लगता है जैसे कोरोना वायरस इनके शरीर में फिर से एक्टिव हो गया है। इसके बाद भी कई बार कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े थे। चीन में भी ऐसा ही हुआ था। एक बार जब लगा कि चीन ने संक्रमण को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया है तब फिर से संक्रमण बढ़ने लगा था और फिर से बीजिंग के कई इलाक़ों में लॉकडाउन करना पड़ा था। हालाँकि यहाँ भी बाद में स्थिति सुधर गई।
अब यदि इन आशंकाओं को छोड़ भी दें तो देश के ही विशेषज्ञ दूसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। कहा जा रहा है कि सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने पर संक्रमण की दूसरी लहर आ सकती है।
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