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हेमंत सोरेन
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कोरोना मामले बढ़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रयोगशाला निगरानी, जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने और साँस से जुड़ी गंभीर बीमारी के मामलों की जाँच करने की ज़रूरत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी कोरोना की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में हिस्सा ले रहे थे।
उन्होंने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी को कोरोना वायरस के खिलाफ आवश्यक सावधानी बरतने और सतर्कता बनाए रखने की सलाह दी। पीएम ने इन्फ्लूएंजा की स्थिति से भी अवगत कराया। पिछले कुछ महीनों में देश में एच1एन1 और एच3एन2 के मामलों की अधिक संख्या दर्ज की गई है।
Visuals from the high level meeting chaired by PM @narendramodi in which he reviewed Covid-19 related situation & public health preparedness. @PMOIndia @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/8B83Y8DmQ9
— Prasar Bharati News Services & Digital Platform (@PBNS_India) March 22, 2023
प्रधानमंत्री मोदी की यह उच्चस्तरीय बैठक तब हुई है जब देश में कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा में वृद्धि देखी गई। पिछले एक दिन में कोरोना वायरस के 1,134 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही सक्रिय मामले बढ़कर 7,026 हो गए हैं। नवंबर के बाद से यह सबसे ज्यादा संख्या है।
पिछले 24 घंटों में रिपोर्ट की गई पांच मौतों के साथ कोविड -19 की मौत का आँकड़ा बढ़कर देश में अब 5,30,813 हो गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अपडेट किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और केरल से मौतों की सूचना मिली थी।
जीनोम सीक्वेंसिंग पर इसलिए जोर दिया जा रहा है कि जब भी संक्रमण के मामले बढ़ते हैं तो वायरस के नया स्ट्रेन या म्यूटेंट को ज़िम्मेदार माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो नये किस्म के कोरोना की आशंका रहती है। और इसका पता तभी चलता है जब जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए।
बता दें कि 2021 की जनवरी में सरकार ने 10 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रयास को तेज़ करने के लिए भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की थी। तब से कोरोना के नये-नये रूपों का पता लगाने के लिए लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती रही है। लेकिन संक्रमण के मामले कम होने पर यह प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।
अभी क़रीब एक पखवाड़े पहले ही कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र ने छह राज्यों को चिट्ठी लिखी थी। केंद्र ने कहा था कि उन्हें वायरल संक्रमण में अचानक वृद्धि को नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए। तब केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक को पत्र लिखकर जाँच, उपचार, ट्रैकिंग और टीकाकरण पर जोर देने को कहा था।
बता दें कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को विशेषज्ञों ने चिंताजनक स्थिति नहीं बताया है। डॉक्टरों के मुताबिक़ फ्लू के मौसम के कारण कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इन मौसमी बीमारियों की वजह से लोग कोविड की भी जांच करा रहे हैं और इस वजह से संक्रमण के मामले बढ़े हुए दिख रहे हैं।
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