कोरोना वायरस के कहर की सबसे ज़्यादा मार रोज कमाने-खाने वालों पर पड़ रही है। यह वह वर्ग है जो गांव-घर छोड़कर बड़े शहरों में प्राइवेट नौकरी करता है। लेकिन इस वायरस के कारण काम-धंधे बंद हो चुके हैं और कंप्लीट लॉकडाउन की घोषणा के बाद इन लोगों के लिये शहर छोड़कर गांव जाना मजबूरी हो गया है क्योंकि शहरों में रहने के लिये इनके पास कोई स्थायी आशियाना नहीं है।
कोरोना: शहरों में काम चौपट, 80 किमी. तक पैदल ही गांवों को जा रहे मजदूर
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- 26 Mar, 2020
यह साफ है कि कोरोना वायरस के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वाले, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।
