कांग्रेस संचालन समिति की आज रविवार को हुई बैठक में जनता के मुद्दों पर आंदोलन खड़ा करने का फैसला किया गया। इसके बारे में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारियों से पूरा रोडमैप मांगा गया है। जिन राज्यों में आगे चुनाव संभावित हैं, वहां की प्रदेश यूनिट से आंदोलन की योजना के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। इस बैठक में तय किया गया कि पार्टी का पूर्ण सत्र 15 फरवरी के बाद किसी तारीख को आयोजित किया जाएगा। यह सत्र छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस संचालन समिति की यह पहली बैठक थी। बैठक में पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी मौजूद थीं। उनके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, मीरा कुमार और अंबिका सोनी शामिल थे। भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने की वजह से राहुल गांधी बैठक में नहीं आ सके।
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पार्टी की रविवार की बैठक से साफ हो गया कि उसने जनता के मुद्दों को उठाने के लिए सड़क पर उतरने का जो रास्ता चुना है, उसके लिए पब्लिक भी विपक्षी पार्टी का इंतजार कर रही थी। उसके कार्यकर्ता तक इसकी मांग कर रहे थे। हाल के चुनावों में पार्टी ने इस बात को महसूस किया कि वो जनता से दूर है। इसीलिए जनता के मुद्दों पर आंदोलन खड़ा करके उनके बीच पैठ बनाने की रणनीति पर रविवार को विचार हुआ।
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की जगह कांग्रेस संचालन समिति का गठन किया गया है। खड़गे ने अक्टूबर में कार्यभार संभालने के बाद इसका गठन किया था।
इस मौके पर एआईसीसी महासचिव जयराम रमेश ने पत्रकारों को बताया कि आज कांग्रेस संचालन समिति की बैठक का मुख्य मकसद पूर्ण सत्र की तारीख और जगह तय करना था। इस सत्र को 15 फरवरी के बाद रायपुर में आयोजित किया जाएगा। सही तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। पार्टी सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान कई संगठनात्मक मामलों पर भी चर्चा हो रही है।
खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों को संचालन समिति का हिस्सा बनाया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में खड़गे के चुनाव की पुष्टि पार्टी के पूर्ण सत्र में की जाएगी। खड़गे शीर्ष पार्टी पद के लिए सीधे मुकाबले में 24 साल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुने जाने वाले पहले गैर गांधी सदस्य हैं।
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