कथित रूप से हिंदू देवी-देवताओं के अपमान करने के आरोप में गिरफ़्तार किए गए स्टैंड अप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी है। इससे पहले तीन बार मुनव्वर फ़ारूक़ी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था।
इस मामले में इंदौर की महापौर और स्थानीय विधायक बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य सिंह गौड़ ने शिकायत दर्ज कराई थी कि फ़ारूक़ी ने इंदौर में 1 जनवरी को आयोजित शो में हिंदू देवी-देवताओं के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
इसके बाद फ़ारूक़ी को चार अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार कर लिया गया था। इन सभी पर यह भी आरोप था कि इन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर भी भद्दी टिप्पणियां की थीं और चुटकुले बनाए थे।
फ़ारूक़ी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस भी जारी किया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद फ़ारूक़ी ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख़ किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि कॉमेडियन के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर स्पष्ट नहीं है और फ़ारूक़ी की गिरफ़्तारी से पहले नोटिस देने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। फ़ारूकी इस साल 2 जनवरी से जेल में थे।
जस्टिस आरएफ़ नरीमन ने कहा, ‘क्या यह बात सही है कि उसे (फ़ारूक़ी को) गिरफ़्तार करने से पहले अरनेश कुमार के फ़ैसले के नियमों का पालन नहीं किया गया। एफ़आईआर में जो आरोप लगाए गए हैं वे पूरी तरह अस्पष्ट हैं।’ अदालत ने फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज एक मुक़दमे को लेकर जारी प्रोडक्शन वारंट पर भी रोक लगा दी।
एकलव्य और उसके साथी 1 जनवरी को शो देखने के लिए पहुंचे थे। कॉमेडियन और आयोजकों के साथ एकलव्य और उसके साथियों की जमकर बहस भी हुई थी। इन लोगों ने शो को रुकवा दिया था। यह भी आरोप लगा था कि विरोध करने वालों ने कॉमेडियन फ़ारुक़ी के साथ मारपीट भी की।
एकलव्य ने यह आरोप भी लगाया था कि कार्यक्रम के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। कैफ़े के छोटे से हॉल में लगभग 100 दर्शकों को बैठाकर रखा गया था। आयोजन के लिए प्रशासन से पूर्व अनुमति भी नहीं ली गई थी।
पुलिस ने कॉमेडियन और चार अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 295-ए और धारा 269 समेत अन्य धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया था। एकलव्य गौड़ ‘हिंद रक्षक’ नामक स्थानीय संगठन के संयोजक हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 28 जनवरी को इस कॉमेडियन को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था, "अब तक के साक्ष्यों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने एक स्टैंड-अप कॉमेडी शो के दौरान नागरिकों के एक वर्ग की भावनाओं को आहत करने के लिए ग़लत, फ़र्जी और अपमानजनक टिप्पणियां कीं।"
इस मामले में पुलिस अदालत में कह चुकी है कि फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ उसके पास कोई सबूत नहीं है। इसके बावजूद पुलिस ने अदालत में फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका का विरोध किया था। पुलिस का कहना था कि जम़ानत मिलने से शहर में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
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