भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सीबीआई को एजेंसी की निष्पक्षता को लेकर एक बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदल जाएगी, लेकिन आप एक संस्था के रूप में स्थायी हैं।
मुख्य न्यायाधीश का सीबीआई के लिए यह संदेश काफी अहम इसलिए है कि इस केंद्रीय एजेंसी पर राजनीतिक इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं। हाल में तो ये आरोप और भी ज़्यादा लग रहे हैं। विपक्षी दलों के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि राजनीतिक बदले की भावना से सीबीआई का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है। वैसे, यह वही एजेंसी है जिसके बारे में 2013 में सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद ऐसा तोता बन गई है जो अपने मालिक की बोली बोलता है।
बहरहाल, सीजेआई रमना शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 19वें डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। यह व्याख्यान सीबीआई यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो के संस्थापक निदेशक की स्मृति में हर वर्ष आयोजित किया जाता है।
सीजेआई रमना ने कहा, 'समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदलेगी। लेकिन आप एक संस्था के रूप में स्थायी हैं। अभेद्य बनें और स्वतंत्र रहें। अपनी सेवा के लिए एकजुटता की शपथ लें। आपकी बिरादरी ही आपकी ताक़त है।' उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में सीबीआई के पास जनता का अपार विश्वास था, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'वास्तव में न्यायपालिका सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने के अनुरोधों से भर जाती थी... लेकिन समय बीतने के साथ अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की तरह सीबीआई भी गहरी सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है। इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने अक्सर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।'
हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश रमना ने पिछले कुछ महीनों में एजेंसी के सुर्खियों से परे रखने के लिए सीबीआई की सराहना भी की। उन्होंने कहा, 'मुझे वह समय याद है जब सीबीआई अपनी चिंता में ठीक तरह से जांच करने से पहले ही कई प्रेस कॉन्फ्रेंस करती थी। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि वर्तमान नेतृत्व में संगठन लो प्रोफाइल बनाए हुए है, जैसा कि होना चाहिए।'
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई ने कहा, 'एक स्वतंत्र अंब्रेला संस्थान के निर्माण की तत्काल आवश्यकता है, ताकि सीबीआई, एसएफआईओ, ईडी जैसी विभिन्न एजेंसियों को एक छत के नीचे लाया जा सके। ऐसी संस्था बनाए जाने की ज़रूरत है जिसकी शक्तियाँ, कार्य और अधिकार क्षेत्र स्पष्ट रूप से तय हों। इस तरह के कानून से बहुत आवश्यक विधायी निरीक्षण भी होगा।'
उन्होंने कहा कि इस स्वतंत्र और निष्पक्ष प्राधिकरण को 'सीबीआई के निदेशक को नियुक्त करने वाली समिति के समान एक समिति द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए। संगठन के प्रमुख को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रतिनिधि द्वारा सहायता दी जा सकती है।'
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