भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सीजेआई के रूप में शुक्रवार को आख़िरी दिन काम किया। हालाँकि, वह 10 नवंबर यानी रविवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। तो शुक्रवार को आख़िरी कार्यदिवस के दिन उन्होंने विदाई भाषण दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने निजी जीवन को जनता के सामने रखा है, भले ही इससे उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा हो, खासकर सोशल मीडिया पर।
सीजेआई ने ये बातें तब कही हैं जब उनके हाल के बयानों को लेकर कई सवाल खड़े किए गए। उन्होंने पिछले महीने कहा था कि उन्होंने भगवान से 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान ढूंढने के लिए प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा था कि अगर किसी में आस्था है तो भगवान उसका समाधान निकाल लेंगे। सीजेआई ने कहा था, 'अक्सर हमारे पास मुद्दे होते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंच पाते। अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें समाधान खोजने की ज़रूरत है।'
बता दें कि 9 नवंबर 2019 को भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ किया था। इस फ़ैसले से एक सदी से भी अधिक पुराना विवाद सुलट गया। पीठ ने यह भी फ़ैसला सुनाया कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने इस साल जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा किया था और पूजा-अर्चना की थी। मंदिर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा इस साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई थी।
इन्हीं सवालों के बीच सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने विदाई भाषण में आलोचनाओं का ज़िक्र किया और यह बताया कि वह इससे कैसे निपटते हैं।
'ट्रोल बेरोजगार हो जाएंगे'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन ट्रोलिंग के अपने अनुभवों का भी ज़िक्र किया और मजाकिया अंदाज में कहा कि जो लोग अक्सर उनकी आलोचना करते थे, वे अब उनके रिटायरमेंट के बाद खुद को बेरोजगार पाएँगे्।
उन्होंने कहा, 'मैं शायद पूरे सिस्टम में सबसे ज्यादा ट्रोल किए जाने वाले व्यक्तियों और न्यायाधीशों में से एक हूं... हल्के-फुल्के अंदाज में कहूँ तो, मैं बस सोच रहा हूं कि सोमवार से क्या होगा क्योंकि मुझे ट्रोल करने वाले सभी लोग बेरोजगार हो जाएंगे!'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने निजी क़िस्से और चुनौतियाँ साझा कीं, जिन्होंने उनके 24 साल के न्यायिक करियर को आकार दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'मेरे पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा और मुझे जज के तौर पर अपने आखिरी दिन तक इसे रखने को कहा। उन्होंने कहा कि कभी भी ईमानदारी से समझौता न करें क्योंकि आपके सिर पर छत नहीं है।' उन्होंने कहा कि इस सलाह से प्रेरित होकर उन्होंने ईमानदारी और स्वतंत्रता से भरे न्यायिक करियर के लिए खुद को झोंक दिया।
अपने कार्यकाल को लेकर उन्होंने साफ़ तौर पर कहा, 'जब आप न्यायाधीश बनते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने डर का सामना करना पड़ता है। आप अपनी सीमाओं और आपको शिक्षित करने में बार की अहमियत को समझते हैं।' सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी न्यायिक यात्रा से जुड़े व्यक्तिगत किस्से और विचार साझा किए। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बिताए अपने दिनों को याद किया, जहां वे हर सुबह न्यायाधीशों के नाम याद करने के लिए उनके एल्बम को देखते थे।
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