ज्ञानवापी मस्जिद में अब पूजा करने की अनुमति मिल गई है। शहर की एक अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि हिंदू वादियों को ज्ञानवापी मस्जिद के पहले से सील किए गए तहखाने 'व्यास का तहखाना' में प्रार्थना करने की अनुमति दी जाती है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ़ कर दिया है कि जिला प्रशासन को सात दिनों के भीतर व्यवस्था करनी होगी।
वाराणसी जिला प्रशासन ने 24 जनवरी को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दक्षिणी तहखाने को अपने कब्जे में ले लिया था। प्रशासन वाराणसी जिला न्यायालय के आदेशों का पालन कर रहा था। अदालत ने 17 जनवरी को आचार्य वेद व्यास पीठ मंदिर के मुख्य पुजारी शैलेन्द्र कुमार पाठक द्वारा दायर एक मामले में वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को मस्जिद के दक्षिणी तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया था।
अपने आदेश में अदालत ने कहा कि विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों द्वारा पूजा-अर्चना की जा सकती है और मस्जिद के तहखाने में प्रवेश को अवरुद्ध करने वाले बैरिकेडों को हटाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसको एएसआई सर्वेक्षण के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सील करने का आदेश दिया था।
स्थानीय अदालत का यह फ़ैसला तब आया है जब दो दिन पहले ही ज्ञानवापी मसजिद के तहखाने में सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इससे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के सर्वे की रिपोर्ट सामने आई थी। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि एएसआई की रिपोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक बड़े हिंदू मंदिर ढांचे के अस्तित्व की बात कही गयी है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह बात कही। हिंदू पक्षकारों ने दावा किया है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी में मूल काशी विश्वनाथ मंदिर के विनाश के बाद उसके स्थान पर बनाई गई थी। एएसआई को वाराणसी जिला अदालत ने जुलाई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का काम सौंपा था।
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हिंदू पक्ष को 'व्यास का तहखाना' में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई। जिला प्रशासन को 7 दिनों के भीतर व्यवस्था करनी होगी। अब सभी को यहाँ पूजा करने का अधिकार होगा।
विष्णु शंकर जैन, हिंदू पक्षकार के वकील
अपनी याचिका में महिलाओं ने तर्क दिया कि 'शिवलिंग' की सटीक प्रकृति का निर्धारण इसके आसपास की कृत्रिम/आधुनिक दीवारों/फर्शों को हटाने और खुदाई द्वारा और अन्य वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके पूरे सील क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के बाद किया जा सकता है।
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