बलात्कार मामले में गिरफ़्तार बीजेपी के पूर्व सांसद चिन्मयानंद को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। इससे पहले मेडिकल जाँच के बाद भारी सुरक्षा में उन्हें कोर्ट में ले जाया गया था। गिरफ़्तारी के तुरंत बाद ही मेडिकल जाँच के लिए उन्हें शाहजहाँपुर अस्पताल ले जाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी इस मामले की जाँच कर रही है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले की निगरानी करने को कहा है। चिन्मयानंद से पुलिस ने 12 सितंबर को क़रीब सात घंटे पूछताछ की थी।
यूपी डीजीपी ओ. पी. सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हमने एसआईटी गठित की थी और जाँच के बाद स्वामी चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल भेज दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस मामले में कोई देरी नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि चिन्मयानंद को ज़बरन वसूली की धमकी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। हालाँकि, पुलिस की तरफ़ से भी साफ़ नहीं किया गया है कि यह गिरफ़्तारी बलात्कार के मामले में हुई है किसी दूसरे आरोपों की धारा में।
बता दें कि बुधवार को चिन्मयानंद को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब यह हवाला दिया गया था कि उनका स्वास्थ्य ज़्यादा ख़राब है। अस्पताल में भर्ती चिन्मयानंद को गुरुवार को केजीएमयू लखनऊ के लिए रेफ़र किया गया था।
बलात्कार का आरोप लगाने वाली 23 वर्षीय पीड़िता ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि उसके पास पूर्व सांसद के कम से कम 35 वीडियो हैं। पीड़िता ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि इन वीडियो के आधार पर उसे इंसाफ़ ज़रूर मिलेगा। हालाँकि चिन्मयानंद और उनके समर्थक लगातार कह रहे थे कि वह निर्दोष हैं और उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
शाहजहाँपुर के स्वामी सुखदेवानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में क़ानून की छात्रा इस पीड़िता ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद माँगी थी। स्वामी चिन्मयानंद इस कॉलेज की प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हैं।
अपनी राय बतायें