चीन ने पैंगोंग झील पर एक और पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इससे कुछ महीने पहले ही वहाँ उसी के समानांतर में चीन द्वारा पुल बनाए जाने की ख़बर आई थी। दोनों पुल भारत द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में हैं। नया पुल पहले वाले से बड़ा बताया जा रहा है जो भारी बख्तरबंद वाहनों के लाने-ले जाने में भी सक्षम होगा।
सैटेलाइट इमेजरी और जानकार लागों के अनुसार चीन पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्र में यह पुल बना रहा है और यह चीनी सेना को इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को जल्दी से जुटाने में मदद कर सकता है। यह निर्माण तब जारी है जब दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच संघर्ष के बिंदुओं पर बातचीत नहीं बन पाई है और भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है।
अगस्त 2020 में भारतीय सैनिकों द्वारा पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा करने के बाद चीन अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत भी सैन्य तैयारियों को बढ़ाने के समग्र प्रयासों के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलों, सड़कों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है।
कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन ने पहले जो पुल का निर्माण शुरू किया था, वह अब पूरा हो गया है। वह पुल संकरा है। पहले पुल के बाद एक दूसरे पुल का निर्माण भी शुरू हो गया है, जो पहले पुल के समानांतर ही बनाया जा रहा है। उस जगह के नवीनतम उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, पहले पुल का उपयोग क्रेन जैसे उपकरणों को लाने के लिए किया गया, जो दूसरे पुल के निर्माण के लिए ज़रूरी हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि नया पुल एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा से 20 किलोमीटर दूर है।
Continued monitoring of the bridge construction at #PangongTso shows the further development on site, new activity shows a larger bridge being developed parallel to the first. likely in order to support larger/heavier movement over the lake https://t.co/QoI8LimgWu pic.twitter.com/5p4DY4aqmE
— Damien Symon (@detresfa_) May 18, 2022
माप से संकेत मिलता है कि दूसरे पुल की चौड़ाई 10 मीटर और लंबाई 450 मीटर होगी। साइमन ने कहा कि पुल के दोनों सिरों को जोड़ने के लिए सड़क संपर्क का काम समानांतर में शुरू हो गया है।
जब जनवरी में सामरिक पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पहले पुल के निर्माण के बारे में रिपोर्ट सामने आई थी तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि संरचना 60 वर्षों से चीन द्वारा अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने तब कहा था कि भारत ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।
सरकार ने फरवरी महीने में संसद को बताया था कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीनी पुल अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इसने यह भी कहा था कि वह अन्य देशों से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की अपेक्षा करता है।
सरकार ने एक लिखित जवाब में संसद को बताया था, 'सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे एक पुल पर ध्यान दिया है। यह पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं।'
पुल पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के मैदान के ठीक दक्षिण में स्थित है। यहाँ 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चीनी क्षेत्र के अस्पताल और सैनिकों के आवास देखे गए थे।
दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प और भारी तादाद में सैनिकों की तैनाती के बाद से भारत और चीन डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
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