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भारत के चीफ जस्टिस ने बताया- बांग्लादेश की घटनाओं से हम क्या सीख सकते हैं

संकटग्रस्त बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए, भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई), धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि पड़ोसी देश में अशांति, एक 'स्पष्ट संदेश' है कि आजादी कितनी महत्वपूर्ण चीज है।

दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान 15 अगस्त को चीफ जस्टिस ने कहा-  “हमने 1950 में स्वतंत्रता की अनिश्चितता को चुना था, और आज जो कुछ हो रहा है, उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में, वह इस बात की स्पष्ट याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है। उन्होंने कहा कि आजादी को हल्के में लेना बहुत आसान है, लेकिन हमें यह याद दिलाने के लिए कि ये चीजें कितनी महत्वपूर्ण हैं, अतीत की कहानियों को समझना बहुत जरूरी है।

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पिछले हफ्ते, बांग्लादेश राजनीतिक संकट में फंस गया था क्योंकि तत्कालीन प्रधान मंत्री शेख हसीना ने अपने खिलाफ एक महीने तक चले छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद इस्तीफा दे दिया था। वह अभी दिल्ली में शरण लिये हुए हैं। अपने निष्कासन के दिन ही वो भारत पहुंची थीं। बांग्लादेश में, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस का अंतरिम प्रशासन, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर टारगेटेड हमलों को खत्म करने के लिए संघर्ष कर रहा है। आरोप है कि हसीना की सरकार गिरने के बाद से वहां अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्वतंत्रता दिवस को 'उन लोगों की प्रतिबद्धता का सम्मान करने का अवसर बताया जो जीवन को महान बनाने के लिए जीते हैं और जो इसे महान बनाने के लिए काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, "आज सुबह, मैं प्रसिद्ध कर्नाटक गायिका चित्रा श्री कृष्ण द्वारा लिखित एक खूबसूरत कृति पढ़ रहा था और इस कृति का शीर्षक है स्वतंत्रता के गीत। स्वतंत्रता का विचार भारतीय कविता के ताने-बाने में बुना गया है।"

सीजेआई ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्ला और अन्य का नाम लेते हुए उन वकीलों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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