अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से एक रिपोर्ट में यह कहे जाने के बाद कि भारत में कोरोना से होने वाली मौतों का असली आंकड़ा सरकारी आंकड़े से कहीं ज़्यादा है, इस पर केंद्र ने पलटवार किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई सर्वे और संक्रमण के आंकड़ों के आधार पर कहा था कि भारत में मौतों का आंकड़ा 6 लाख से लेकर 42 लाख के बीच होगा, जबकि भारत सरकार के मुताबिक़ न्यूयॉर्क टाइम्स की यह रिपोर्ट छपने तक भारत में 3 लाख से कुछ ज़्यादा मौतें हुई थीं।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने गुरूवार को कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में किसी तरह के सबूत नहीं हैं और यह सिर्फ़ बेसिर-पैर के अनुमानों पर आधारित है। डॉ. वीके पॉल कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाई गई टास्क फ़ोर्स के प्रमुख हैं।
डॉ. पॉल ने कहा, “हमारे वहां संक्रमित लोगों में से मरने वालों का आंकड़ा 0.05 फ़ीसदी है जबकि अख़बार ने कहा है कि यह 0.3 फ़ीसदी है। उन्होंने किस आधार पर कह दिया कि यह 0.3 फ़ीसदी है, इसके पीछे कोई बुनियाद नहीं है।”
डॉ. पाल ने कहा कि पांच लोग मिलते हैं, वे एक-दूसरे को फ़ोन करते हैं और इस तरह के आंकड़ों को लोगों के सामने पेश कर देते हैं और ऐसा ही इस अख़बार की रिपोर्ट में किया गया है।
विशेषज्ञों ने तैयार की रिपोर्ट
न्यूयॉर्क टाइम्स ने जो रिपोर्ट छापी है और जितनी मौतें होने की बात कही है, इस रिपोर्ट को स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी, मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन, बोकोनी यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी जैसे नामी संस्थानों के विशेषज्ञों ने तैयार किया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों का भी इस्तेमाल किया लेकिन प्रमुख तौर पर इसने सीरो सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाया था। अख़बार ने भारत में कराए गए तीन सीरो सर्वे यानी देशव्यापी एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों का इस्तेमाल रिपोर्ट बनाने के लिए किया था।
राहुल ने किया था ट्वीट
भारत में भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट को ट्वीट किया था और कहा था कि आंकड़े झूठ नहीं बोलते लेकिन भारत सरकार झूठ बोलती है।
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कई राज्यों में गांवों में बड़ी संख्या में मौत हुई लेकिन टेस्टिंग न होने की वजह से यह पता नहीं चल सका कि वे लोग कोरोना से संक्रमित थे या नहीं। इसी तरह गंगा किनारे मिले शवों जिनके हज़ारों में होने का दावा किया गया, ये शव भी मौतों के आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं थे। ऐसे में मौतों के सरकारी आंकड़े को लेकर शंका होती है।
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