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केंद्र सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से उस वायरल वीडियो को हटाने के लिए कहा है जिसमें कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न घुमाया गया और उनका यौन उत्पीड़न किया गया। वीडियो साझा करने वाले कुछ खातों के ट्वीट सरकार की मांग पर भारत में रोक दिए गए हैं। इसके साथ ही वीडियो पर ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कथित तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नए आईटी नियमों के अनुपालन पर चेतावनी दी है। ये नियम उचित प्रतिबंधों के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देते हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने चेतावनी दी है कि 'क़ानून और व्यवस्था में समस्याएँ पैदा करने वाले' वीडियो के प्रसार की कानून के तहत अनुमति नहीं है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि गैर-अनुपालन के लिए ट्विटर के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करने का एक आदेश कल रात जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आईटी मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्लेटफार्मों पर काम कर रहा है कि वीडियो आगे प्रसारित न हो। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, 'वीडियो को हटाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के साथ कुछ लिंक साझा किए गए हैं क्योंकि इससे राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति और बाधित हो सकती है।'
केंद्र के पास सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (ए) के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को सामग्री हटाने के आदेश जारी करने की शक्ति है। आदेशों को गोपनीय रखा जाता है।
बता दें कि इस वीभत्स वीडियो में दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाते और भीड़ द्वारा उनके साथ छेड़छाड़ करते हुए दिखाया गया है। महिलाओं को एक खेत में खींच कर ले जाया गया और बाद में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया।
यह घटना कथित तौर पर 4 मई को हुई। इससे एक दिन पहले मणिपुर में 3 मई से मेइती लोगों और कूकी-ज़ोमी के बीच लगातार जातीय हिंसा हो रही है।
मेइती को एसटी का दर्जा देने वाले 27 मार्च के विवादास्पद आदेश के खिलाफ आदिवासी विरोध के तुरंत बाद हिंसा शुरू हो गई थी। हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। सैकड़ों घरों में आगजनी की घटना हुई है।
सोशल मीडिया पर क्लिप वायरल होने के बाद वीडियो में दिख रहे एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को कहा था कि लोगों की पहचान कर ली गई है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमले के करीब 15 दिन बाद सामूहिक बलात्कार की शिकार दोनों पीड़िताएं पुलिस के पास आई थीं। अधिकारी ने कहा, 'वे कांगपोकपी गए, हालांकि अपराध वहां नहीं हुआ था। लेकिन हमें सुराग मिल गए हैं। हम एक या दो दिन में लोगों को पकड़ लेंगे।' मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि उन्होंने पुलिस को इस मामले की प्राथमिकता से जांच करने का आदेश दिया है।
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