मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को जब नोटबंदी का एलान किया था तो इसके कई संभावित फ़ायदों के साथ ही यह भी कहा था कि इससे देश ‘कैशलेस इकॉनमी’ बनेगा। यानी कि लोग नक़दी से चीजें ख़रीदना कम करेंगे और डिजिटल ट्रांजेक्शन ज़्यादा करेंगे। लेकिन जो ताज़ा आंकड़े आए हैं, उनसे पता चलता है कि ‘कैशलेस इकॉनमी’ वाली बात धड़ाम हो गई है।
नोटबंदी के बाद भी ‘कैशलेस इकॉनमी’ फ़ेल?
- देश
- |
- |
- 5 Nov, 2021
नोटबंदी के वक़्त मोदी सरकार ने कुछ बड़े वायदे किये थे। इनमें ‘कैशलेस इकॉनमी’ भी एक वायदा था। लेकिन सरकार इसमें फ़ेल साबित हुई है।

आंकड़ों से पता चलता है कि 8 अक्टूबर, 2021 को ख़त्म हुए पखवाड़े पर लोगों ने 28.30 लाख करोड़ का कैश भुगतान किया, जबकि 4 नवंबर, 2016 को यह आंकड़ा 17.97 लाख करोड़ था। यानी इसमें 57.48 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 23 अक्टूबर, 2020 को ख़त्म हुए पखवाड़े में जनता के हाथ में दिवाली से पहले 15,582 करोड़ रुपये की और नकदी आई थी। यह हर साल 8.5 फ़ीसदी की या फिर 2.21 लाख करोड़ रुपये की रफ़्तार से बढ़ी है।