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युद्ध की प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

क्या हिजबुल्लाह इजरायल के साथ युद्ध करने का जोखिम उठा सकता है? 

इजरायल-हमास युद्ध के बीच लेबनान का मिलिशिया संगठन हिजबुल्लाह इजरायल के प्रमुख दुश्मन को तौर पर उभरा है। अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिजबुल्लाह ने चेतावनी दी है कि वह इजरायल के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उसके लड़ाकों ने लेबनान - इजरायल सीमा पर कई दिनों तक इजरायली सैनिकों के साथ गोलीबारी की है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर इजरायल गाजा में जमीनी हमला करता है तो लेबनान सीमा पर हिजबुल्लाह युद्ध का नया मोर्चा खोल सकता है। 
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हिजबुल्लाह इजरायल के साथ युद्ध करने का जोखिम उठा सकता है? अलजजीरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी सशस्त्र गुट हमास द्वारा इज़राइल पर हमला करने और लगभग 1,400 लोगों के मारे जाने के बाद से दोनों पक्षों ने अपनी सीमाओं पर गोलाबारी और रॉकेट हमले किए हैं।
ऐसे में जैसे-जैसे हिंसा बढ़ती है, पर्यवेक्षकों को डर है कि हिजबुल्लाह अपने नेताओं और उनके ईरानी समर्थकों के इशारे पर इज़राइल के खिलाफ युद्ध का एक नया मोर्चा खोल सकता है। 
विश्लेषकों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो इससे हमास और गाजा में संकटग्रस्त नागरिकों पर दबाव कम हो सकता है, लेकिन यह लेबनान के लिए विनाशकारी और इज़राइल के लिए महंगा साबित होगा।

हिजबुल्लाह पहले भी इजरायल से लड़ चुका है जंग 

अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि हिजबुल्लाह और इजरायल का जंग के मैदान में आमना-सामना पहले भी हो चुका है। जुलाई 2006 में, हिजबुल्लाह ने अपनी सीमा पर दो इजरायली सैनिकों को पकड़ लिया था। जिसके बाद इजरायल की ओर से बड़े पैमाने पर सैन्य प्रतिक्रिया हुई और इससे भड़का युद्ध 34 दिनों तक चला। 

इसके परिणामस्वरूप 1,100 से अधिक लेबनानी नागरिक और 165 इजरायली मारे गए थे। इस संघर्ष में किसी ने भी निर्णायक रूप से युद्ध नहीं जीता, लेकिन लेबनानी नागरिक स्पष्ट रूप से हारे हुए थे। रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के अनुसार, इज़राइल ने लगभग 30,000 घरों, 109 पुलों और 78 अस्पतालों को नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया था। 
वाशिंगटन, डीसी में एक थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के हिजबुल्लाह विशेषज्ञ निकोलस ब्लैनफोर्ड बताते हैं कि इस समूह के पास इजरायल पर हमला करने के लिए कम दूरी की मिसाइलें हैं। पिछले 17 वर्षों में हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। ब्लैनफोर्ड के मुताबिक आज हिजबुल्लाह के पास इजरायल को सबसे बड़ी क्षति पहुंचाने की क्षमता है। 
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आज हिजबुल्लाह कितना मजबूत है?

ब्लैनफोर्ड ने अनुमान लगाया है कि हिज़्बुल्लाह के पास कम से कम 60,000 लड़ाके हैं, जिनमें पूर्णकालिक और आरक्षित सैनिक भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस समूह ने मिसाइलों के अपने भंडार को भी बढ़ाया है। पहले जहां  2006 में मिसाइलों की अनुमानित संख्या 14,000 थी। 
वहीं इसे बढ़ाकर अब इसने लगभग 150,000 कर दिया है। इसके पास मौजूद मिसाइलों में अधिकांश कम दूरी की मारक क्षमता वाली हैं। हिजबुल्लाह के पास 300 किमी की मारक क्षमता वाली ईरानी मिसाइलें भी हैं। ब्लैनफोर्ड ने कहा कि हिजबुल्लाह के विशेष बलों की  इकाई को युद्ध की स्थिति में इज़राइल में घुसपैठ करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। 
उन्होंने अल जजीरा को बताया है कि शायद यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इजरायली अधिकारियों ने पिछले कुछ वर्षों में हिजबुल्लाह को अपना सबसे बड़ा दुश्मन और इजरायल के लिए खतरा माना होगा। 
मध्य पूर्व संस्थान में संघर्ष और संकल्प कार्यक्रम के निदेशक रांडा स्लिम ने भी अल जज़ीरा को बताया कि सीरियाई युद्ध ने भी हिजबुल्लाह की सैन्य क्षमताओं में बढ़ोतरी की है। 

सीरिया का युद्ध काफी लंबा था जिसने शहरी युद्ध और खुफिया जानकारी के मामले में नए कौशल को हासिल करने में हिजबुल्लाह की मदद की थी। इसके कारण उसकी खुफिया प्रणालियों में बहुत सुधार हुआ है। 
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इजरायल से हिजबुल्लाह के युद्ध की कितनी संभावना है? 

अलजजीरा की रिपोर्ट में मध्य पूर्व संस्थान के स्लिम का मानना ​​है कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच लेबनान सीमा पर छिटपुट हिंसा असामान्य नहीं है, लेकिन आज बड़े पैमाने पर हिंसा का खतरा है।उन्होंने कहा कि गाजा में इजरायली जमीनी कार्रवाई के विरोध में हिजबुल्लाह और ईरान इजरायल के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोलने का फैसला कर सकते हैं। 
उन्होंने कहा कि अगर हमास का सफाया होने वाला है तो हिजबुल्लाह इसमें शामिल हो सकता है। स्लिम कहते हैं कि ईरान ने अपने सभी सहयोगियों को नाटो की तर्ज पर एकजुट करने में कामयाबी पायी है। इसका मतलब है कि एक पर हमला सभी पर हमला। ऐसा पहले कभी नहीं था।

 हिजबुल्लाह के इस संघर्ष में कूदने को लेकर ब्लैनफोर्ड का मानना ​​है कि कि तमाम जोखिमों के बावजूद, ईरान और हिज़्बुल्लाह संयम बरतेंगे। उन्होंने बताया कि हिजबुल्लाह ईरान पर हमला करने की किसी भी संभावित इजरायली और अमेरिकी योजना के खिलाफ एक प्रमुख निवारक के रूप में कार्य करता है। 
ब्लैनफोर्ड कहते हैं कि अगर लेबनान में युद्ध होता और इसमें हिजबुल्लाह पस्त हो जाए तो  ईरान  इस क्षेत्र में प्रतिरोध का एक प्रमुख साथी खो देगा। हालांकि, उन्होंने युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर ईरान को लगता है कि अब इजरायल पर हमला करने का सबसे उपयुक्त समय है तो वह अभी भी इजरायल के खिलाफ अपने प्रतिनिधियों को सक्रिय कर सकता है। 
अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका इस पूरे जोखिम से अवगत है और उसने ईरान समर्थित समूहों को इज़राइल को निशाना बनाने से रोकने के लिए पूर्वी भूमध्य सागर में दो विमानवाहक पोत भेजे हैं। 

क्या हिजबुल्लाह इजरायल को हरा सकता है?

इस संघर्ष में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या हिजबुल्लाह इजरायल को हरा सकता है? इस पर स्लिम कहते हैं कि हिजबुल्लाह के पास इजराइल को भयानक कीमत चुकाने की क्षमता है।
उनका मानना ​​है कि हिजबुल्लाह इजरायल पर हमला कर सकता है जो देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को तबाह कर देगा। लेकिन इसके जवाब में इजरायल लेबनान के अधिकांश हिस्से को मलबे में तब्दील कर सकता है। 
सीरिया में, युद्ध अलग था। हिजबुल्लाह वहां विभिन्न मिलिशिया के खिलाफ लड़ रहा था लेकिन शक्तिशाली इजरायली सेना की तुलना में उसकी क्षमता कुछ भी नहीं है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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