पिछले दिनों चैट जीटीपी को बनाने वाली कंपनी ओपनएआई चर्चाओं में रही। इसके चर्चा में रहने का कारण इसके सीईओ सैम ऑल्टमैन को कंपनी से निकाला जाना था। ऑल्टमैन के प्रति एकजुटता दिखाते हुए कंपनी के चेयरमैन ग्रेग ब्रॉकमैन ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए भारी विरोध के बाद कंपनी ने अपना फैसला वापस लिया और सैम ऑल्टमैन के वापसी की घोषणा की।
कहने को तो यह एक कंपनी का अंदरुनी मामला था लेकिन इस विवाद ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। कंपनी के अमेरिका स्थित दफ्तर में क्या सब हो रहा है इसकी पल-पल की जानकारी दुनिया पाना चाह रही थी। भारतीय मीडिया में यह मामला 5-6 दिनों तक खूब चर्चा में खूब रहा।
अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है इस कंपनी में जो दुनिया भर की नजरें इस पर है। इसका जवाब है इस दुनिया को बदलने की क्षमता इसके पास है। कुछ माह पहले जब कंपनी ने अपना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स चैट जीटीपी लॉंच किया था तब पूरी दुनिया उत्सुकता की नजर से इसे देख रही थी।
माना जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई ही वह चीज है जो आने वाले समय में दुनिया को बदल कर रख देगा।
साइंस और टेक्नोलॉजी के जानकार मानते हैं कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल तो कई वर्षों से कर रहे हैं। रोबोट भी इसी तकनीक का इस्तेमाल कर बन रहे हैं।
ऑनलाईन शॉपिंग, मेडिकल, बैंकिंग, रक्षा के क्षेत्र में, फोटोग्राफी, एग्रीकल्चर, ड्राईविंग समेत जीवन के अनेकों क्षेत्र में इसका इस्तेमाल हो रहा है। इसमें नई-नई रिसर्च हो रही हैं और बेहद तेजी से इसका विकास होता जा रहा है।
ऐसे में फिर एक सवाल पैदा होता है कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना जरुरी है और हमे इसका इस्तेमाल क्यों करना चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने मानव जीवन को आसान बनाया है। इसके कारण हमारे काम बस एक क्लीक पर होने लगे हैं। इसकी उपयोगिता को देखते हुए इस्तेमाल और भी बढ़ेगा। हमारे जीवन में इसकी दखलअंदाजी भी बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जहां एक ओर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ढ़ेरो लाभ हैं वहीं इसके खतरे भी अनेकों हैं। यहां तक माना जा रहा है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण मशीनों की शक्ति अत्यधिक बढ़ गई तो वे कहीं मनुष्यों के नियंत्रण से बाहर न हो जाएं।
या फिर कभी बेहद बुद्धिमान ये मशीनें किसी दुर्घटना के कारण इंसान के नियंत्रण से बाहर हो गई तो वे इंसानों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का गैर जिम्मेदाराना विकास मानव सभ्यता के लिए खतरा भी बन सकता है।
यही कारण है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से मानवता के विनाश की संभावना पर दुनिया भर में बहसें हो रही है। एआई में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ और प्रगति लाने की क्षमता है, इसके बावजूद संभावित जोखिमों के बारे में वैध चिंताएं भी हैं।
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जब मशीनें इंसान की बुद्धि से आगे निकल जायेंगी
इसको लेकर एक चिंता का विषय सुपरइंटेलिजेंट एआई का विचार है, जहां मशीनें मानव बुद्धि से आगे निकल जाती हैं और संभावित रूप से उन तरीकों से कार्य करती हैं जो मानवता के लिए हानिकारक हैं।इस विचार के मानने वालों का कहना है कि एक सुपर इंटेलिजेंट एआई की अवधारणा मानव हितों के खिलाफ काम कर सकती है। तकनीकी मामलों के कई जानकारों का मानना है कि एआई टूल्स पर मानव नियंत्रण नहीं होने से या मानवीय मूल्यों से परे जाकर उसके द्वारा काम करने से यह हमारे लिए नुकसानदायक हो सकती है।
अगर हम अपनी समझ या नियंत्रण से परे क्षमताओं वाला एक एआई सिस्टम बनाते हैं, तो इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं।
एक अन्य चिंता दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए एआई का दुरुपयोग है। जैसे-जैसे एआई प्रौद्योगिकियां आगे बढ़ेंगी। उनके हानिकारक तरीकों से उपयोग किए जाने की संभावना भी होगी। अत्याधुनिक हथियार अगर एआई से लैस होंगे तो कई बार यह भी हो सकता है कि वह मानव नियंत्रण से बाहर हो जाए ऐसे में वह विनाशकारी हो सकती हैं।
उदाहरण के लिए परमाणु हथियारों के रखरखाव या इस्तेमाल में एआई का इस्तेमाल होने पर इस बात की संभावना रहेगी कि कभी एआई से लैस मशीनें इतनी ताकतवर हो सकती हैं कि वे मानव नियंत्रण से बाहर जाकर इन घातक हथियारों का खुद इस्तेमाल करने लगे। ऐसे में यह दुनिया तबाह हो सकती है।
एआई मानवता के विनाश का कारण किस हद तक बन सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इन प्रौद्योगिकियों को कैसे विकसित, तैनात और नियंत्रित करते हैं। एआई का जिम्मेदारी के साथ विकास और उपयोग मनुष्यों के लिए एक बेहतर भविष्य बनायेगा लेकिन गैरजिम्मेदाराना तरीके से इसका विकास होने पर पूरी मानव जाति को इससे खतरा हो सकता है।
यही कारण है कि इन जोखिमों को कम करने के लिए नैतिक दिशानिर्देश, सुरक्षा उपाय और एआई से लैस मशीनों पर शासन संरचना विकसित करने के लिए एआई समुदाय के भीतर प्रयास चल रहे हैं। शोधकर्ता सक्रिय रूप से ऐसा एआई सिस्टम विकसित करने पर काम कर रहे हैं जो मानवीय मूल्यों के अनुरूप हैं और जिन्हें मनुष्यों द्वारा नियंत्रित और समझा जा सकता है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हैं कई नुकसान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अगर गैर जिम्मेदाराना इस्तेमाल हुआ तो यह आने वाले समय में कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। तकनीकी मामलों के जानकार बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई को लेकर कई प्रमुख चिंताएं इस समय दुनिया भर के वैज्ञानिकों से लेकर समाजशास्त्रियों में है।यह बेरोजगारी को बढ़ाने वाला हो सकता है। जिन जगहों पर इंसान काम कर रहे हैं उसकी जगह आने वाले दिनों में रोबोट ले सकते हैं। या फिर जिस काम को 10 इंसान मिलकर करते हैं वह काम एक मशीन कर देगी। इसके कारण बेरोजगारी बढ़ेगी।
इसको लेकर कई तरह की नैतिक चिंताएं भी हैं। एआई डेटा गोपनीयता, एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और इसके संभावित दुरपयोग को लेकर भी चिंताएं हैं। इसमें भावनाएं नहीं होने के कारण भी इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। एआई में रचनात्मकता और सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों का अभाव है। जिसके कारण इसमें भावनाओं को समझने या मूल विचार को उत्पन्न करने की क्षमता सीमित हो जाती है।
एआई का पूरा सिस्टम हमेशा पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं हो सकता है। जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमताओं में अविश्वास पैदा होता है। एआई सिस्टम का विकास और कार्यान्वयन काफी महंगा हो सकता है। इसके लिए विशेष ज्ञान और संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसके कारण यह भी माना जा रहा है कि दुनिया के कुछ मुठ्ठी भर लोग इस पूरे सिस्टम को नियंत्रित कर सकते हैं।
इसका उपयोग वे अपने मुनाफे के लिए कर सकते हैं। आम लोगों की जिंदी में इसके कारण निजता भंग होने की समस्या आ सकती है। उदाहरण के लिए आपका फोन आपके व्यवहार और आपकी पसंद को हर पल ट्रैक करता रहता है।
एआई पर अत्यधिक निर्भरता मनुष्य को प्रौद्योगिकी पर निर्भर बना सकती है और हमारी मौलिक सोच और कौशल को कम कर सकती है। यही कारण है कि एआई को लेकर लगातार चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे अब रोका नहीं जा सकता है लेकिन इसका समझदारी से मानव नियंत्रण में इस्तेमाल कर के हम इस दुनिया को विनाश के रास्ते पर जाने से बचा सकते हैं।
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