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प्रतीकात्मक तस्वीर

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित बी देव ने खुली अदालत में की इस्तीफे की घोषणा

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित बी देव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार को खुली अदालत में उन्होंने इसकी घोषणा कर सब को चौंका दिया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में बैठे जस्टिस देव ने इस घोषणा के साथ ही  शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध मामलों से युक्त बोर्ड को भी छुट्टी दे दी। 
उन्होंने खुली अदालत में वकीलों से कहा कि अगर मेरी किसी बात से किसी को भी ठेस पहुंची है, तो इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मेरे मन में किसी के प्रति कोई कठोर भावना नहीं है। एनडीटीवी इंडिया की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा है कि, मैं अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता। 
वहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि जो लोग अदालत में मौजूद हैं, मैं आप में से हर एक से माफी मांगता हूं। मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता था कि आप  सुधर जाओ। मैं आपमें से किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता क्योंकि आप सभी मेरे लिए एक परिवार की तरह हैं। मुझे आपको यह बताते हुए दुख हो रहा है कि मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने वकीलों से कहा, आप लोग कड़ी मेहनत करते हैं। 
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4 दिसंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होना था जस्टिस देव को 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जस्टिस रोहित बी देव ने हाल ही में दो चर्चित फैसले दिए थे। इसमें से पहले जजमेंट में उन्होंने समृद्धि एक्सप्रेसवे के ठेकेदारों से संबंधित जीआर पर रोक लगा दी थी। उनका दूसरा चर्चित जजमेंट पिछले साल अक्टूबर में तब आया था जब उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी करने का आदेश पारित किया था। 
साईबाबा को कथित माओवादी संबंधों के लिए 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस देव को 5 जून, 2017 को बॉम्बे  हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें 12 अप्रैल, 2019 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था। उन्हें 4 दिसंबर, 2025 को अपने पद से सेवानिवृत्त होना था। 
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सरकारी संकल्प के संचालन पर रोक लगा दी थी

इंडियन एक्सप्रेस की खबर कहती है कि इस साल अप्रैल में, जस्टिस एमआर शाह (अब सेवानिवृत्त) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जस्टिस देव की अगुवाई वाली नागपुर बेंच के आदेश को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को एक अलग बेंच द्वारा नए सिरे से तय करने के लिए हाईकोर्ट में वापस भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले का फैसला हाई कोर्ट चार महीने के भीतर करे। 
26 जुलाई को,जस्टिस देव की अगुवाई वाली बेंच ने इस साल 3 जनवरी के एक सरकारी संकल्प (जीआर) के संचालन पर रोक लगा दी थी। इस सरकारी संकल्प के माध्यम से राज्य सरकार को अवैध उत्खनन से संबंधित राजस्व विभाग द्वारा शुरू किए गए सभी दंडात्मक कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार दिया गया था। अपने इस फैसलों के कारण
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क़मर वहीद नक़वी
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