बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी 1971 में ग़रीबी हटाओ के नारे पर चुनाव जीती थीं लेकिन उन्होंने ग़रीबी हटाने के लिए ज़रूरी क़दम नहीं उठाए।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं और खाद्य, उर्वरक, किसानों और आयुष्मान भारत के लिए 5.34 लाख करोड़ रुपये का सालाना भुगतान किया है। जेटली ने ब्लॉग में लिखा है, ‘अगर कांग्रेस पार्टी की घोषणा को अंकगणित की मदद से देखा जाए, तो 72 हज़ार रुपये प्रति परिवार के हिसाब से 5 करोड़ परिवारों के लिए 3.6 लाख करोड़ का ख़र्च आता है, जो कि मोदी सरकार द्वारा ख़र्च की जा रही राशि का दो-तिहाई भी नहीं है।’
वित्त मंत्री ने कहा कि देश के ग़रीब लोगों और किसानों के ख़ाते में 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा पैसा ट्रांसफ़र किया जा चुका है।
ग़ौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सोमवार सुबह प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो देश के सबसे ग़रीब 20 फ़ीसदी परिवारों को हर साल 72 हज़ार रुपये दिए जाएँगे और ये रकम न्यूनतम आमदनी योजना के तहत दी जाएगी। राहुल गाँधी ने कहा था कि ये 72 हजार रुपये सबसे ग़रीब परिवारों के बैंक अकाउंट में सीधे डाल दिए जाएँगे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सभी को न्याय देने जा रही है। राहुल ने नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि अगर प्रधानमंत्री सबसे अमीर लोगों को पैसा दे सकते हैं तो कांग्रेस सबसे ग़रीब लोगों को पैसा दे सकती है।
बता दें कि मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में छोटे किसानों के (2 हेक्टेयर तक की ज़मीन वाले) खाते में हर साल 6 हजार रुपये देने की घोषणा की थी। अब राहुल ने ग़रीब परिवारों को 72 हज़ार सालाना यानी 6 हज़ार रुपये महीना देने की बात कही है। दोनों ही दलों की ओर से इसे लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाए जाने की उम्मीद है।
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