काले धन पर कांग्रेस के वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने लोकसभा में सोमवार को रिपोर्ट पेश कर दी है। विभिन्न अध्ययनों के आधार पर 1980 से लेकर 2010 तक देश के बाहर 216.48 अरब से लेकर 490 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच काले धन का अनुमान लगाया गया है। हालाँकि इसमें काले धन की किसी निश्चित राशि का ज़िक्र नहीं है। इसने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए अपनाई जा रही कार्यप्रणाली ठीक नहीं है और ऐसे में इसका कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है। समिति ने टैक्स सुधारों पर भी ज़ोर दिया है। बता दें कि काले धन पर लगाम लगाने के सरकार के प्रयासों पर यह समिति गठित की गई है।
संसदीय समिति ने सरकार से देश के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर बेहिसाब धन और आय का पता लगाने के लिए अपने प्रयासों को ‘अधिक दृढ़ता के साथ’ जारी रखने के लिए कहा है। समिति ने कहा, ‘इस संदर्भ में देश में प्रत्यक्ष कर क़ानूनों को सरल बनाने और तर्कसंगत बनाने के लिए संसद में सबसे लंबे समय तक विलंबित प्रत्यक्ष कर संहिता को भी जल्द से जल्द और फिर से शुरू किया जाए।’
यह रिपोर्ट देश और विदेश में काले धन की मात्रा को तय करने के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू किए गए तीन अध्ययनों से निकला निष्कर्ष है। अध्ययन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक फ़ाइनेंस एंड पॉलिसी, नेशनल काउंसिल ऑफ़ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ाइनेंस मैनेजमेंट द्वारा किए गए थे। बता दें कि वित्त संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में भारत या विदेश में काले धन की मात्रा पर कोई विवरण नहीं दिया गया है।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘काले धन के स्रोत या जमा का न तो कोई विश्वसनीय अनुमान है और न ही इस तरह का अनुमान लगाने के लिए कोई सटीक स्वीकृत पद्धति है।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी अनुमान अंतर्निहित धारणाओं और उसमें सुधार की गुँजाइश पर निर्भर करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि अब तक किए गए अनुमानों में इस उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सर्वोत्तम कार्यप्रणाली या दृष्टिकोण के बारे में एकरूपता या आम सहमति नहीं है।
समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में सबसे ज़्यादा काला धन माइनिंग, फ़ार्मा, पान मसाला और गुटखा व्यापार के क्षेत्र में है। कालेधन की बहुत बड़ी मात्रा अभी भी रियल एस्टेट में निवेश किया गया है। संसद की स्थाई समिति ने टैक्स के मामले को लेकर भी अपनी रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जो टैक्सपेयर ईमानदारी से टैक्स जमा करते हैं, उनके लिए टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएँ और इस पूरी प्रक्रिया को ज़्यादा आसान बनाया जाए।
बीजेपी दे सकती है चुनौती
संसद के दोनों सदनों में पेश होने के बाद इस काले धन की रिपोर्ट के कुछ हिस्से को सरकार चुनौती दे सकती है। वह काले धन के चलन को नियंत्रित करने और रोकने के लिए की गई अपनी कार्रवाई का बचाव कर सकती है। रिपोर्ट पर दोनों पार्टियों बीजेपी-कांग्रेस के बीच नोक-झोंक होने की भी आशंका है, क्योंकि मोइली ने कई बार यह बयान दिया है कि काले धन को वापस लाने के लिए सरकार के प्रयास नाकाफ़ी हैं।
काला धन ख़त्म करने का था बीजेपी का वादा
बीजेपी भ्रष्टाचार को ख़त्म करने और काले धन से छुटकारा पाने के अपने वादों पर 2014 में केंद्र की सत्ता आई थी। यह भी वादा किया गया था कि विदेशों में जमा काला धन देश में वापस लाया जाएगा और इससे हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये आने की बात कही थी। हालाँकि ऐसा नहीं हुआ। 2016 में नोटबंदी की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसका एक प्रमुख उद्देश्य काले धन को बाहर निकालना था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने काले धन का ज़िक्र तक नहीं किया। कांग्रेस ने अपने वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए बार-बार सरकार पर निशाना साधा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सदस्यों के बीच सर्वसम्मति नहीं होने के कारण समिति द्वारा नोटबंदी यानी विमुद्रीकरण पर मसौदा रिपोर्ट को अपनाया नहीं जा सका है।
बता दें कि काले धन की शुरुआती रिपोर्ट 28 मार्च को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा माहाजन को प्रस्तुत की गई थी, जिसकी एक प्रति समिति के निर्देशों के बाद लोकसभा की वेबसाइट पर भी अपलोड की गई थी।
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