पश्चिम बंगाल बीजेपी में कब जबरदस्त भगदड़ मच जाए यह कोई नहीं जानता। बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे मुकुल राय टीएमसी में वापस आने के बाद बीजेपी विधायकों-सांसदों के मिशन ‘घर वापसी’ में जुटे हुए हैं। हालांकि ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि वह गद्दारी करने वालों को पार्टी में वापस नहीं लेंगी।
मीडिया चैनलों की नज़र भी इन दिनों बंगाल बीजेपी में हो रही हर हलचल पर है तो दूसरी ओर बीजेपी आलाकमान इससे बेहद परेशान है क्योंकि बीते सात सालों में पहली बार उसे किसी राज्य में ऐसे हालात का सामना करना पड़ रहा है, जहां वह सिर्फ़ इन सियासी हलचलों को देखने को मज़बूर है।
मुकुल राय अपनी पहली पारी में जब टीएमसी में थे, तब भी उनका क़द ऊंचा था। वह ममता के क़रीबियों में शामिल थे और ममता के बाद उन्हें टीएमसी में नंबर दो माना जाता था। अब जब वह पार्टी में दूसरी पारी खेल रहे हैं तो उन्हें बीजेपी में गए नेताओं को वापस लाने का जिम्मा सौंपा गया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) के मुताबिक़, राय इन दिनों फ़ोन के जरिये ऐसे नेताओं के संपर्क में हैं जो बीते कुछ सालों में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में बीजेपी के विधायकों ने पाला बदल लिया था।
बीजेपी के नेताओं को फ़ोन करने के बारे में पूछने पर राय ने कहा, “मैं फ़ोन के जरिये बीजेपी के नेताओं और आयोजकों के साथ लगातार राब्ता क़ायम कर रहा हूं।”
राय के बेटे सुभ्रांग्शु ने भी इस बात की तसदीक की है और वह भी इस मिशन में शामिल हैं। सुभ्रांग्शु ने टीओआई से कहा, “लगभग 25-30 बीजेपी विधायक पाला बदलकर टीएमसी में आ सकते हैं। बीजेपी के दो सांसद भी ऐसे हैं जो टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं।”
सुभ्रांग्शु ने इस बार बीजापुर की सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए थे। उन्होंने कहा, “मेरे पिता दबाव में थे और इससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा था और इस वजह से वह पहले की तरह इस बार चुनाव में प्रचार नहीं कर सके।”
‘बेचैन हैं नेता’
पश्चिम बंगाल से बीजेपी सांसद सुनील मंडल ने मंलगवार को कहा, “टीएमसी से बीजेपी में गए नेता बेचैनी से गुजर रहे हैं। उन्हें दिल से स्वीकार नहीं किया गया है क्योंकि बीजेपी में कुछ लोग सोचते हैं कि पार्टी में नए आए लोगों पर भरोसा करना ठीक नहीं होगा।”
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बर्धमान पूर्बा सीट से सांसद सुनील मंडल पिछले साल दिसंबर में खड़गपुर में हुई अमित शाह की रैली में शुभेंदु अधिकारी के साथ ही बीजेपी में शामिल हुए थे। उनका कहना है कि शुभेंदु ने साथ काम करने के वादे को नहीं निभाया और शुभेंदु उनसे संपर्क भी नहीं करते।
बीजेपी परेशान
इस सारे वाक़ये से परेशान बीजेपी ने भी सियासी कसरत शुरू कर दी है और वह असंतुष्ट माने जा रहे नेताओं की पहचान कर रही है। बीजेपी विधायकों में वाक़ई नाराज़गी है, इसका पता सोमवार को तब चला था जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलने गए विधायकों में से 24 विधायक ग़ैर-हाज़िर रहे थे।
विधायकों को विपक्ष के नेता और ममता की टीम के पुराने सियासी खिलाड़ी शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में राज्यपाल से मिलने जाना था लेकिन जब इतनी बड़ी तादाद में विधायक ग़ैर-हाज़िर रहे तो कोलकाता से लेकर दिल्ली तक में खलबली मच गई।
टीएमसी में वापसी के लिए धरना
बीजेपी के ऐसे नेता जो विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी को छोड़कर पार्टी में आए थे, उनके बीच 'घर वापसी' की होड़ लग गई है। बीरभूमि के इल्लम बाज़ार इलाक़े में बीजेपी कार्यकर्ता सोमवार को टीएमसी के दफ़्तर के बाहर धरने पर बैठ गए और उन्हें पार्टी में वापस लेने की मांग की। इन सभी नेता और कार्यकर्ताओं ने हाथों में पोस्टर लिए हुए थे और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से उन्हें पार्टी में वापस लिए जाने की गुहार लगा रहे थे।
धरना देने के बाद 50 बीजेपी कार्यकर्ताओं को टीएमसी में वापस शामिल कर लिया गया।
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