खड़गे ने कहा - राष्ट्रपति कार्यालय को 'भाजपा और आरएसएस की सरकार ने प्रतीकात्मक निशान' बना कर छोड़ दिया है। उन्होंने ट्वीट किया- आरएसएस बीजेपी सरकार ने बार-बार मर्यादा का अपमान किया है।
खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रपति को भारत के सर्वोच्च विधायी निकाय के सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में - नए भवन का उद्घाटन करना चाहिए जो लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। खड़गे ने याद दिलाया-
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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद शिलान्यास समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था ... भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।
-मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष, 22 मई 2023 सोर्सः ट्विटर
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा - भारत की संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है और भारत का राष्ट्रपति इसका सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है। वह अकेले सरकार, विपक्ष और प्रत्येक नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करता है। वह 'भारत का पहला नागरिक' है। उनके द्वारा बनाया गया नया संसद भवन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।"
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित करने वाले हैं। उस दिन दक्षिणपंथी नेता सावरकर की जयंती भी है। 64,500 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र के साथ यह त्रिकोणीय चार मंजिला बिल्डिंग इंडिया गेट के पास है। इंडिया गेट की पूरी हरियाली इस निर्माण की वजह से बर्बाद हो चुकी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कल इसका विरोध करते हुए कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए क्योंकि भारत का प्रमुख राष्ट्रपति है, प्रधानमंत्री नहीं।
राहुल गांधी के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा सहित कई विपक्षी नेताओं ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई है। प्रधान मंत्री सरकार का प्रमुख होता है न कि विधायिका का प्रमुख।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा था कि "पीएम को संसद का उद्घाटन क्यों करना चाहिए? वह कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं। हमारे यहां शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा है। लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा अध्यक्ष उद्घाटन कर सकते थे। यह जनता के पैसे से बनाया गया है ... पीएम ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? वो ऐसे पेश आ रहे हैं जैसे उनके 'दोस्तों' ने इसे अपने निजी कोष से बनवाया किया हो?" बता दें कि नए भवन की आधारशिला 10 दिसंबर, 2020 को रखी गई थी। नए भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की स्थिति में कुल 1,280 सदस्य बैठ सकते हैं।
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