कैसे अलग है यात्रा
इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता है कि अब तक कांग्रेस पार्टी को जिन्दा करने की जितनी भी छोटी-मोटी कोशिशें हुई हैं, उनसे यह यात्रा अलग है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जनता से संपर्क का सबसे पहला जन संपर्क कार्यक्रम है जो कांग्रेस पार्टी कई वर्षों बाद राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करेगी। आमतौर पर कांग्रेस के बड़े नेता बड़ी रैलियों को संबोधित करते हैं या रोड शो करते हैं। इस तरह के जनसंपर्क कार्यक्रम कांग्रेस कम ही करती है।पिछली यात्राओं के नतीजेः कांग्रेस ने जब-जब जनसंपर्क अभियान चलाया है, उसे बेहतर नतीजे मिले हैं। यानी भारत जोड़ो यात्रा के पॉजिटिव नतीजे आना ही हैं। याद कीजिए मध्य प्रदेश के मंदसौर में जब किसानों पर लाठी चार्ज और फायरिंग हुई तो इन्हीं राहुल गांधी ने उसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था। वो वहां खुद पहुंचे और आंदोलन का नेतृत्व किया। 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इससे काफी मदद मिली, उसने लगभग बहुमत हासिल किया।
अगर कांग्रेस से बाहर ऐसी किसी यात्रा को देखें तो लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा याद आती है। जिसने बीजेपी की किस्मत रातोंरात बदल दी थी और वो मंदिर जैसे मुद्दे पर केंद्र की सत्ता में आ गई थी। धार्मिक मुद्दों के लिए जब यात्रा निकाल कर सफलता पाई जा सकती है तो क्या जनता के सरोकारों के लिए यात्रा निकालने पर संभावनाएं कम हो जाएंगी।
यात्रा का समय महत्वपूर्ण
कांग्रेस और राहुल गांधी ने मौजूदा यात्रा का समय बहुत सही चुना है। कई राज्यों में चुनाव होने हैं लेकिन वो अभी जरा दूर हैं। इसलिए जनता में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी यह प्रचार नहीं कर पाएगी कि वोट मांगने के लिए कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा आयोजित की है। जनता में यह संदेश जाना जरूरी है कि चुनाव के बिना भी नेता या राजनीतिक दल उसके मुद्दों और उसके सरोकारों को उठाने के लिए आवाज बन सकते हैं। यात्रा का प्रारूप शक्तिशाली है। क्योंकि यह नेतृत्व और जनता के बीच एक जुड़ाव बनाएंगे। सिविल सोसाइटी की 120 संस्थाएं उस नैरेटिव को गढ़ने में मदद करेंगी, जो कांग्रेस की सेकुलर छवि को और मजबूत बनाएंगे, जो कांग्रेस के किसान हितैषी होने के दावे को मजबूत करेंगे।“
कांग्रेस पार्टी की विचारधारा में सभी 'वाद' का समावेश है। जनता पहले उसी वजह से कांग्रेस से जुड़ती रही है। उसके नारों में वही ताकत है जो आज बीजेपी के 'जयश्रीराम' के नारे में है। कांग्रेस का 'जय हिन्द' का नारा सभी समुदायों को एक धागे में पिरोने की बात करता है। जय हिन्द की पहचान सिर्फ उत्तरी भारत में ही नहीं दक्षिणी भारत में भी है। जरूरत है कि कांग्रेस उस नारे को पुनर्जीवित करे।
नई कहानी की जरूरत
भारत जोड़ो यात्रा मतदाताओं और राहुल गांधी के बीच एक नया संबंध बनाने में मदद कर सकती है। राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए तीन साल हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष न होने से उनके खिलाफ मीडिया और बीजेपी की नकारात्मक टिप्पणियों को कम करने में मदद मिलेगी।
बहुत मुमकिन है कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को आशा के अनुरूप नतीजे न दे। लेकिन रिस्क लेने में कोई हर्ज नहीं है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि लगभग 12 करोड़ वोट हासिल करने वाली पार्टी लोगों को यात्रा के लिए आकर्षित नहीं कर पाए। हालांकि कांग्रेस पार्टी का संगठन आज इतना कमजोर हो गया है कि वह शायद जनता को लामबंद न कर पाए। हो सकता है कि वह घर-घर जाकर लोगों को यह न समझा सके कि उन्हें इस यात्रा में क्यों शामिल होना चाहिए। लेकिन यह बहुत बड़ा मसला नहीं है।
पुरानी रणनीति, नई पहल
2013- 2014 में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ कैसे माहौल बना था। उसी रणनीति को दोहराने की कोशिश यह यात्रा भी हो सकती है। 2014 से पहले इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के बैनर तले कई संगठनों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ माहौल बनाया था। तत्कालीन विपक्षी दल बीजेपी ने यूपीए सरकार में करप्शन और नीतिगत पंगुता के मुद्दों को उठाया था। यह वह दौर था जब एक अखिल भारतीय आंदोलन शुरू किया गया था। योग गुरु रामदेव के साथ अन्ना हजारे, किरण बेदी, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, रिटायर्ड सेना अधिकारी और पूर्व नौकरशाहों ने भी यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। इस आंदोलन के पीछे आरएसएस और उससे जुड़े कई संगठन भी काम कर रहे थे। उस माहौल ने बीजेपी की मदद की और वो 2014 में केंद्र की सत्ता पाने में सफल रही।2013-14 में जो करप्शन था, क्या वो अब खत्म हो चुका है। हालात उस वक्त से भी बदतर हैं। नफरत और लिंचिंग का बाजार गर्म है। तमाम समुदाय आपस में छोटे-छोटे मुद्दों पर टकरा रहे हैं। भारत को एक सशक्त आंदोलन की जरूरत आज भी है। इसी तर्ज पर राहुल गांधी आम लोगों से मिलकर बीजेपी सरकार के काम के आधार पर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बना सकते हैं। कांग्रेस नेता अपने भाषणों में संवैधानिक संस्थानों के कथित दुरुपयोग, बेरोजगारी, समाज में विभाजन, किसानों के मुद्दों और अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित मुद्दों को जरूर उठाएंगे।
अपनी राय बतायें