एमएसएमई को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा मचने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सफाई दी है। गडकरी ने कहा कि वह इस बात से हैरान हैं कि उनके बयान को किस तरह ग़लत ढंग से पेश किया जा रहा है।
गडकरी से सीएनबीसी टीवी18 के साथ बातचीत के दौरान सवाल पूछा गया था कि एमएसएमई के सामने बकाये की बड़ी परेशानी है और यह बकाया कितना है। गडकरी ने जवाब में कहा था कि इस बकाये का ठीक-ठीक अनुमान लगाना मुश्किल है और हमने एमएसएमई के बकाये को लेकर समाधान पोर्टल के जरिये 36 हज़ार करोड़ रुपये के विवाद का समाधान कर दिया है और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, इनके विभागों और कुछ बड़े उद्योगों द्वारा एमएसएमई पर 5 लाख करोड़ बकाया है।
गडकरी ने कहा कि उन्होंने एक बैठक में उद्योग संगठनों सीआईआई, फिक्की से कहा था कि वे इस मामले का समाधान करें और बकाये का भुगतान करें। लेकिन इस बयान पर बवाल मचने के बाद गडकरी ने कहा कि सीएनबीसी टीवी18 के साथ बातचीत में उन्होंने प्राइवेट इंडस्ट्री से एमएसएमई का बकाया चुकाने की अपील की थी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सभी एमएसएमई एसोसिएशन ने देर से मिलने वाले बकाये को एक बहुत बड़ी परेशानी बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्थिक पैकेज में सभी सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को एमएसएमई को 45 दिन के भीतर बकाया चुकाने के लिए कहा है।
गडकरी ने कहा है कि वर्तमान के संकट के समय में वह यह उम्मीद करते हैं कि मीडिया और विपक्ष मिलकर जिम्मेदारी भरी भूमिका निभाएंगे और उनकी इस अपील का समर्थन करेंगे कि सभी स्टेक होल्डर्स, जिनमें प्राइवेट इंडस्ट्रीज भी शामिल हैं, वे एमएसएमई का जल्द भुगतान करेंगे।
कांग्रेस ने बनाया था मुद्दा
गडकरी के बयान को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने तुरंत लपक लिया था और ट्वीट कर कहा था, ‘नितिन गडकरी कह रहे हैं कि एमएसएमई का सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी विभागों पर पांच लाख करोड़ रुपये बकाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये का ऋण देने की बात कही है। ऐसे में सवाल यह है कि उधार देने वाला कौन है और उधार लेने वाला कौन है।’
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