बीबीसी की पीएम मोदी और गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री के बहाने बीजेपी ने बहुत सधे हुए तरीके से टुकड़े-टुकड़े गैंग के नैरेटिव को फिर से बनाना शुरू कर दिया है। यह जरा भी हैरानी की बात नहीं है कि केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने आज बुधवार 25 जनवरी को जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहा। दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने भी ऐसे लोगों को टुकड़े टुकड़े गैंग कहा था। यानी बीबीसी फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले, इसे शेयर करने वाले, इसे समर्थन देने वाले सब टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग हैं।
केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने बुधवार को कहा, टुकड़े-टुकड़े गिरोह परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि पुलिस बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि जेएनयू में पहले भी कुछ तत्व थे, जो देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। न्यूज एजेंसी एएनआई ने मंत्री के बयान को जारी किया है।
उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत की संप्रभुता को रौंदने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पार्टी जो स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा होने का दावा करती है, वह देश की संप्रभुता और सुरक्षा की परवाह नहीं करती है।
दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस विवाद पर कहा था - भारत में कुछ लोग अभी भी औपनिवेशिक नशा से दूर नहीं हुए हैं। वे लोग बीबीसी को भारत का उच्चतम न्यायालय से ऊपर मानते हैं और अपने नैतिक आकाओं को खुश करने के लिए देश की गरिमा और छवि को किसी भी हद तक गिरा देते हैं। वैसे भी इन टुकड़े-टुकड़े गिरोह के सदस्यों से कोई बेहतर उम्मीद नहीं है, जिनका एकमात्र लक्ष्य भारत की ताकत को कमजोर करना है।
जेएनयू में 2015 में एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू के छात्रों पर पाकिस्तान के समर्थन में नारा लगाने का आरोप लगाया गया। उस समय जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार थे। कन्हैया और छात्र नेता उमर खालिद ने जेनएयू कैंपस में एबीवीपी का विरोध किया। इन पर राजद्रोह के आरोप में केस दर्ज हुआ था। वो केस आज भी चल रहा है। उमर खालिद को बाद में उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उसी दौरान सीएए विरोधी आंदोलन में जामिया के गेट नंबर 7 पर भाषण देने के आरोप में शारजील इमाम को गिरफ्तार किया गया था। उमर खालिद, शारजील इमाम समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता अभी जेलों में हैं।
एक तरफ तो इस पर टुकड़े टुकड़े गैंग का नैरेटिव सेट किया जा रहा है। दूसरी तरफ शाहीन बाग का भी नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है। बीजेपी समर्थक टीवी चैनल रिपब्लिक ने भी फिल्म दिखाने के समारोह को शाहीनबाग जैसा बताया है। कुछ अन्य अंग्रेजी चैनलों ने इसे दूसरा शाहीनबाग बताया है।
जामिया से बुधवार शाम को हिरासत में लिए गए छात्रों को ले जाती पुलिस।
इससे पहले मंगलवार की रात जेएनयू के कई छात्रों ने अपने कैंपस से वसंत कुंज पुलिस स्टेशन तक एक विरोध मार्च निकाला और शिकायत दर्ज कराई कि उन पर पथराव किया गया, जब वे अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप पर पीएम मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे।
जेएनयू में छात्र-छात्राएं बीबीसी डॉक्युमेंट्री देखते हुए।
पुलिस द्वारा मामले की जांच करने के आश्वासन के बाद धरना खत्म हुआ था। जेएनयू छात्र संघ (जेएनएसयू) अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि हमने शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने हमें आश्वासन दिया कि वे घटना की जांच करेंगे। हमने इसमें शामिल सभी लोगों के नाम और विवरण दिए हैं। फिलहाल, हम विरोध प्रदर्शन वापस ले रहे हैं।
घोष ने आरोप लगाया कि स्क्रीनिंग के दौरान एबीवीपी ने उन पर पथराव किया। लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। हमने फिल्म की स्क्रीनिंग लगभग पूरी कर ली है। हमारी प्राथमिकता है कि बिजली बहाल हो। हम इसकी एफआईआर दर्ज कराएंगे।
जेएनयू के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बुधवार शाम 6 बजे दिखाने का ऐलान किया था। यहां पर वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई ने फिल्म के आयोजन की घोषणा की थी। लेकिन जामिया ने फिल्म दिखाने के आयोजन पर रोक लगा दी और सूचना पुलिस को भी दी। पुलिस ने दोपहर को ही एसएफआई के दस छात्र नेताओं को हिरासत में ले लिया।
देश के अन्य हिस्सों से भी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज मे बीबीसी फिल्म देखे जाने की खबरें आ रही हैं। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में तो तीन संगठनों ने इसका आयोजन सोमवार को ही कर दिया था। कोलकाता में प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी के छात्रों ने 27 जनवरी को इसके आयोजन की अनुमति मांगी है।
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