नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) की सूची से बाहर रह गए लोगों के लिए इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जिस देश में वे सालों से रह रहे हैं, वहाँ से उन्हें घुसपैठिया कहकर बाहर जाने को कहा जा रहा है और जिस देश का उन्हें बताया जा रहा है वह भी उनके अपने देश से होने पर इनकार करता है। ऐसे में वे लोग करें तो क्या करें।
एनआरसी: क्या छूटे हुए लोगों को शरण देगा बांग्लादेश?
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- 2 Sep, 2019
बांग्लादेश के गृह मंत्री ने दावा किया है कि 1971 के बाद से उनके देश से कोई भी व्यक्ति भारत नहीं गया है।

एनआरसी की फ़ाइनल सूची से बाहर रहे अधिकांश लोग बेहद ग़रीब और अनपढ़ हैं। इनमें कई लोग सूची में अपना नाम देखकर भी नहीं पहचान पाते और इनकी कोई मदद करने वाला भी नहीं है। मजदूरी कर अपना और परिवार का पेट पालने वाले श्रमिक भी असम में पिछले दो सालों से ख़ुद को भारत का नागरिक साबित करने में जुटे रहे। लेकिन अब एनआरसी से बाहर रह गए 19 लाख लोगों का क्या होगा, उनके पास ऐसे कोई पुराने दस्तावेज़ नहीं हैं जिनसे वह ख़ुद को भारतीय साबित कर सकें। कुल मिलाकर उनकी स्थिति बेहद ही परेशान करने वाली है।