जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मेडिकल ग्राउंड पर तीन महीने के लिए जमानत दे दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शर्त लगाई है कि आरोपी न तो कोई नफरत वाला बयान देगा और न ही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में कुछ नफरती बात बोलेगा। वसीम रिजवी पर हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण देने का आरोप है। इस विवादास्पद धर्म संसद का आयोजन यति नरसिंहानंद ने किया था। नरसिंहानंद भी इस समय जमानत पर है।
वसीम रिजवी यूपी शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन रह चुका है। उस समय उस पर भ्रष्टाचार के बहुत सारे आरोप लगे। कई मामलों में एफआईआर दर्ज हुई। भ्रष्टाचार के आरोप जैसे-जैसे बढ़ते गए, वैसे वैसे वसीम रिजवी के सुर बदलते गए। उसने खुलकर बीजेपी और आरएसएस की नीतियों का समर्थन किया। उसने अयोध्या और राम पर फिल्म बनाने की घोषणा की। उसके कुछ हिस्से अयोध्या में शूट भी हुए। उसके बाद वसीम रिजवी यति नरसिंहानंद का अनुयायी बन गया। गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में वसीम रिजवी ने सनातन धर्म ग्रहण कर लिया। हालांकि शिया सैयद होने के बावजूद नरसिंहानंद ने उसे त्यागी गोत्र में शामिल कराया।
हरिद्वार धर्म संसद में नफरती बयान देने के कई आरोपियों को इससे पहले भी जमानत मिल चुकी है। लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद उन लोगों ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया। इसमें सबसे प्रमुख यति नरसिंहानंद है जो बार-बार शर्तें तोड़ रहा है। उसने मुसलमानों के लिए फिर से नफरत वाले बयान दिए हैं। उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने फिर से एफआईआऱ दर्ज की है। उत्तराखंड सरकार के वकील ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया तो हम उसे फिर से गिरफ्तार कर लेंगे। जमानत रद्द कर दी जाएगी।
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