बाबरी मसजिद विध्वंस के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को फ़ैसला सुनाएगाी। इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह सहित 32 लोग अभियुक्त हैं।
सीबीआई की लखनऊ स्थित विशेष अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बुधवार को इस तारीख़ को फ़ैसला सुनाने के लिए मुकर्रर किया। इस महीने की शुरुआत में अदालत ने सभी 32 अभियुक्तों के बयान रिकॉर्ड कर लिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते मई में विशेष अदालत से कहा था कि वह 31 अगस्त तक जांच पूरी कर ले और फ़ैसला दे दे। लेकिन फिर भी इसमें थोड़ा ज़्यादा वक़्त लग गया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जल्द फ़ैसला आ सके, इसके लिए जज सुरेंद्र कुमार यादव का कार्यकाल भी बढ़ा दिया था। यादव को सितंबर, 2019 में रिटायर होना था।
हिंदूवादी नेता साध्वी ऋतंभरा भी इस मामले में अभियुक्त हैं। विश्व हिंदू परिषद के नेता गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया भी मामले में अभियुक्त थे लेकिन उनकी मौत हो चुकी है।
6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मसजिद को गिरा दिया था। इससे पहले आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए देश भर में रथ यात्रा निकाली थी। यह रथ यात्रा जहां-जहां पहुंची थी, वहां-वहां दंगे हुए थे और सैकड़ों लोग मारे गए थे।
'बाबरी मसजिद थी और रहेगी'
वर्षों तक चले राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद मामले में भले ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भूमि पूजन भी हो गया हो लेकिन ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह इस विवाद में अदालत के फ़ैसले से इत्तेफ़ाक नहीं रखता। बोर्ड ने कहा था कि बाबरी मसजिद थी और हमेशा रहेगी। बोर्ड ने बेहद कड़े अंदाज़ में कहा है कि नाइंसाफी, बलपूर्वक, शर्मनाक और बहुसंख्यकों के तुष्टिकरण के आधार पर ज़मीन के पुनर्निधारण का फ़ैसला इस तथ्य को नहीं बदल सकता है।बोर्ड ने आगे कहा था कि दिल छोटा करने की कोई ज़रूरत नहीं है और हालात कभी भी एक जैसे नहीं रहते हैं। एआईएमपीएलबी भी अयोध्या विवाद के मामले में एक पक्षकार था और इसने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी थी। अयोध्या विवाद मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ बोर्ड की ओर से अदालत में पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई थी लेकिन वह ख़ारिज हो गई थी।
अपनी राय बतायें