राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को अपनी सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। गुढ़ा ने विधानसभा में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कहा था कि राजस्थान सरकार को मणिपुर के बारे में बात करने के बजाय खुद का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 21 जुलाई की शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को निष्कासित करने की सिफारिश की है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री गहलोत की इस अनुशंसा को तत्काल स्वीकार कर लिया है।
मामला कुछ यह है कि विधानसभा में कांग्रेस विधायक मणिपुर यौन हिंसा के मुद्दे पर वेल में आ गए और तख्तियां लहराने लगे। चेयरपर्सन जेपी चंदेलिया के हस्तक्षेप के बाद वे अपनी सीटों पर लौट आए। जब व्यवस्था बहाल हुई तब भाजपा विधायक नारायण सिंह देवल ने राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का मुद्दा उठाया।
कहा, महिला सुरक्षा के मामले में हम विफल रहे हैं
इसके बाद शोर-शराबे के बीच जब भाजपा विधायक छगनसिंह इस मुद्दे पर बोल रहे थे तो दोपहर करीब 2:50 बजे गुढ़ा उठे और कहा कि यह सच है कि राजस्थान में महिला सुरक्षा के मामले में हम विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं, हमें मणिपुर पर बात करने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उनके यह कहने के बाद विपक्षी विधायक नारेबाजी करने लगे। विपक्षी विधायक कहने लगे कि एक मंत्री ने राजस्थान सरकार की पोल खोल दी है। राजस्थान सरकार के लिए उनके इस कथन ने बड़ी ही असहज स्थिति पैदा कर दी है।
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गुढ़ा ने कहा है कि यह सच बोलने की कीमत है
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के पास पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग का प्रभार होने के साथ ही साथ सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होम गार्ड एवं नागरिक सुरक्षा (स्वतंत्र प्रभार) जैसे विभाग थे। मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए गुढ़ा ने कहा है कि यह सच बोलने की कीमत है। मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि राजस्थान में कानून-व्यवस्था खराब है। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक मणिपुर मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मैं उनसे असहमत नहीं हूं। लेकिन राजस्थान में जो कुछ हो रहा है वह सही कैसे हो सकता है?
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पहले भी अपनी सरकार के खिलाफ दे चुके हैं बयान
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सचिन पायलट खेमे के नेता माने जाने वाले गुढ़ा 2022 के मध्य से ही गहलोत सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। इस शुक्रवार से पहले, मई में जयपुर में गुढ़ा ने कहा था कि राजस्थान सरकार का तालमेल गलत हो गया है। हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। कर्नाटक में, शुल्क 40 प्रतिशत (कमीशन) था लेकिन हमारी सरकार यहां उससे भी आगे निकल गई है।रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल पर भी हमला करते हुए कहा था कि कोई भी फ़ाइल भ्रष्टाचार के बिना आपके कार्यालय से नहीं निकलती है। जून 2022 में गुढ़ा ने कहा था कि गहलोत साहब बोलते बहुत हैं कि ये किया। मीडिया में बोलते हैं। कभी बैठ के चिंता करते तो ज्यादा ठीक होता।
नवंबर 2022 में, उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सत्ता के केंद्रीकरण का आरोप लगाते हुए कहा था कि लोगों को कांस्टेबलों के तबादलों को मंजूरी दिलाने के लिए भी सीएम कार्यालय से संपर्क करना पड़ता है। गुढ़ा ने गहलोत पर आरोप लगाया था कि वह आलाकमान के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।फरवरी में, जब उन पर अपहरण सहित अन्य आरोपों का मामला दर्ज किया गया था तब उन्होंने गहलोत पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सीएम की जानकारी के बिना किसी मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है।
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