तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर और विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार सुबह हाई लेवल बैठक बुलाई। इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने शामिल हुए।
सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री को सीमा पर हालात के बारे में जानकारी दी।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह झड़प 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में हुई थी और इसमें दोनों देशों के जवानों ने एक-दूसरे पर डंडों से हमला किया। हालांकि इस हिंसक झड़प में दोनों ओर से किसी भी जवान की मौत नहीं हुई लेकिन दोनों ओर के जवान घायल हुए हैं।
कांग्रेस हमलावर
कांग्रेस के कई नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों में स्थगन नोटिस दिया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार की भारत-चीन सीमा मुद्दे को दबाने की प्रवृत्ति के कारण चीन का दुस्साहस बढ़ रहा है।
कांग्रेस ने कहा है कि जब भी चीन बुरी नजर से हमारे देश की तरफ देखता है प्रधानमंत्री या तो खुलकर या अपनी चुप्पी से चीन को क्लीन चिट दे देते हैं। पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आकर इस मुद्दे पर जवाब दें।
झड़प पर चर्चा के लिए कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, रंजीत रंजन ने राज्यसभा में सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है। सांसद मनीष तिवारी ने सदन में मामले पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है।
एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी लोकसभा में इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र ने देश को अंधेरे में रखा। ओवैसी ने पूछा कि झड़प के बारे में संसद को सूचित क्यों नहीं किया गया।
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