भारत और चीन के सैनिकों के बीच तवांग के यांगस्ते इलाके में हुई झड़प को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस के प्रवक्ता और सांसद गौरव गोगोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि रक्षा मंत्री ने संसद में इस मुद्दे पर कोई सवाल तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस अहम घटनाक्रम पर विवरण देना चाहिए था लेकिन वह भाग गई।
उन्होंने पूछा है कि मई 2020 में गलवान में हुई हिंसक झड़प से पहले जो यथास्थिति थी उसे कब बहाल किया जाएगा।
गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी छवि देश की अखंडता से ज्यादा प्यारी है। उन्होंने कहा कि दुनिया में हमने ऐसा कोई देश नहीं देखा जिसकी सीमा पर बार-बार प्रहार हो रहा हो और उस देश का नेता, उस देश का प्रधानमंत्री चुप हो।
उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के युद्ध में किस प्रकार दोनों देशों के नेता अपने देश का पक्ष रखते हैं, देश की जनता को सारी जानकारी देते हैं। जबकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र शुरू होने से पहले कहते हैं कि सदन में चर्चा होनी चाहिए लेकिन जब ऐसा महत्वपूर्ण मामला सामने आता है, जहां पर देश की सीमा, देश की अर्थव्यवस्था, देश की अखंडता पर सवाल हो तो वह अपने मंत्रियों के पीछे छुप जाते हैं, कभी विदेश मंत्री के पीछे, कभी रक्षा मंत्री और कभी गृह मंत्री के पीछे।
उन्होंने कहा कि यह साफ-साफ जताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी छवि अपने नैतिक कर्तव्य से ज्यादा पसंद है।
गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस की मांग की है कि चीन पर एक समग्र चर्चा संसद में होनी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत करें। उन्होंने कहा कि हम देश के लिए चिंतित हैं इसीलिए सरकार से सवाल पूछ रहे हैं।
सच्चाई क्यों नहीं बता रही सरकार
गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार सीमा पर जो असल हालात हैं उन्हें देश से जानबूझकर छुपा रही है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया है कि चीन ने भारत की हजारों स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया हुआ है और गृह मंत्री कहते हैं कि हम अपनी 1 इंच जमीन भी किसी को नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को सच्चाई क्यों नहीं बता रही है।
‘कौन चला रहा है विदेश नीति’
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि हमने अपनी कमजोरी खुलकर दुश्मन देश चीन के सामने रख दी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में यह समझ में नहीं आता कि विदेश नीति कौन चला रहा है। एनएसए अजित डोभाल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर या फिर कोई और।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पर ही इस मामले में सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि उन्होंने ही चीन को क्लीन चिट दी थी।
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