न्यायपालिका और विधायिका एक बार फिर आमने-सामने हैं। हालांकि संविधान में दोनों के कार्यक्षेत्र और अधिकार बिल्कुल साफ हैं, पर कई बार स्थिति उलझी है और दोनों पर एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में घुसने का आरोप लगा है।