मोदी सरकार के वादे पूरे नहीं करने पर अन्ना हज़ारे ने अब अपना पद्म भूषण लौटाने की चेतावनी दी है। सरकार लोकपाल की नियुक्ति और किसानों से जुड़ी माँगों को लेकर वह महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में पिछले पाँच दिन से अनशन पर बैठे हैं। अन्ना हज़ारे का इशारा साफ़ है कि 2014 के चुनाव से पहले मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने लोकपाल के गठन, भ्रष्टाचार को ख़त्म करने और किसानों की दयनीय स्थिति सुधारने का वादा किया था। तब बीजेपी को इन मुद्दों पर बीजेपी को ज़बर्दस्त समर्थन मिला था और केंद्र में सरकार बना पायी। अब यदि अन्ना हजारे अनशन पर हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि वह इन मोर्चों पर सरकार को पूरी तरह विफल मानते हैं।
सरकार के वादे नहीं पूरा करने का आरोप लगाते हुए हज़ारे ने कहा, ‘अगर यह सरकार अगले कुछ दिनों में देश से किए अपने वायदों को पूरा नहीं करती है तो, मैं अपना पद्म भूषण लौटा दूँगा। मोदी सरकार ने लोगों के विश्वास को तोड़ा है।’
Anna Hazare: I will be returning my Padma Bhushan award to the President. I did not work for that award, you only gave me that while I was working for social cause & the country. If the country or society is in this condition, then why should I keep that? (03.02.19) pic.twitter.com/bch2mmw08o
— ANI (@ANI) February 4, 2019
अन्ना ने अनशन पर बैठने से पहले कहा है कि जब तक उनकी माँगों को नहीं माना जाता है तब तक वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे।
81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता को 1992 में तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया था। अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहे हैं। भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में स्वतंत्र लोकपाल की नियुक्ति को वह एक महत्वपूर्ण हथियार मानते हैं। इसके साथ ही किसानों की समस्याओं को लेकर भी वह मुखर रहे हैं।
वह किसानों की परेशानियों को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने की माँग करते रहे हैं। वह चुनाव सुधार पर भी जोर दे रहे हैं।
अन्ना के समर्थन में शिवसेना
इससे पहले दिन में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना हज़ारे के समर्थन में आगे आई और उनसे आग्रह किया कि वह समाजवादी कार्यकर्ता जयप्रकाश नारायण की तरह भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करें। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता की जिंदगी से ना खेले। ठाकरे ने हजारे से अपनी ज़िंदगी त्यागने के बजाय सड़क पर उतरने को कहा।
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