केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी। केंद्र का यह फ़ैसला तब आया है जब लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान का मुद्दा बनाया था और सांसद के रूप में पीएम मोदी के शपथ लेने के दौरान विपक्ष के नेताओं ने हाथों में संविधान की प्रति रख बीजेपी को संविधान की याद दिलाई थी। विपक्षी नेता बीजेपी सरकार में 'संविधान ख़तरे में' होने का नारा देते रहे हैं। तो क्या विपक्ष के इसी नैरेटिव से मुक़ाबला करने के लिए बीजेपी ने 'संविधान हत्या दिवस' का इस्तेमाल किया है? क्या विपक्ष के इसी नैरेटिव से पार पाने के लिए पीएम मोदी ने हाल के दिनों में 'आपातकाल' वाले नैरेटिव का इस्तेमाल किया है?
केंद्र ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया; जानें असली मक़सद क्या!
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- 12 Jul, 2024
इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था। उस आपातकाल की तुलना 'अघोषित आपातकाल' से किए जाने के बीच अब बीजेपी ने विपक्ष को निशाने पर लेने के लिए नयी चाल चली है। जानिए क्या है वह चाल।

इन सवालों के जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर घोषणा क्या की गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान में कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ उन सभी लोगों के योगदान को याद करेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के दौरान अमानवीय पीड़ा झेली थी। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, '25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचला गया था, तब क्या हुआ था। यह उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले थे, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।'