कर्नाटक में कांग्रेस से शिकस्त खाने के बाद भाजपा और जेडीएस एक दूसरे के करीब आ रही है। जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने दोनों दलों के बीच गठबंधन के संकेत दिए हैं।
हाल के कुछ दिनों में जेडीएस ने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बीजेपी का साथ दिया है। इसकी शुरुआत तब देखी गई जब नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर अन्य विपक्षी दलों की अपील को ठुकरा कर जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा पहुंचे थे। इसके बाद ओडिशा के बालासोर रेल हादसे के बाद देवगौड़ा ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बचाव किया था।
ऐसे में माना जा रहा है कि जेडीएस और बीजेपी करीब आ रही हैं और लोकसभा चुनाव से पहले दोनों में गठबंधन हो सकता है। गठबंधन की संभावना को तब और बल मिला जब बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर देवगौड़ा ने कहा कि ऐसी कौन सी पार्टी है जो बीजेपी के साथ नहीं गई है।
शुरू हो चुका है शह और मात का खेल
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीसरी पर सरकार बनाने से रोकने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। संयुक्त विपक्ष बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है। ऐसे में बीजेपी भी अपने गठबंधन का कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ गठबंधन पर चर्चा चल रही है। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के साथ भाजपा ने दोस्ती बढ़ाने का फैसला किया है। इससे पूर्व तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ भाजपा का गठबंधन हो चुका है।
इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन करने की कोशिश भाजपा कर रही है। माना जा रहा है कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत के राज्यों में सीटों के नुकसान की आशंका से परेशान है। इसलिए शीर्ष नेतृत्व हर हाल में दक्षिण में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाह रहा है ताकि लोकसभा चुनाव में एकजुट विपक्ष का मुकाबला कर सके।
पिछली जीत को दोहराना भाजपा के लिए नहीं है आसान
भाजपा के लिए कर्नाटक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पिछले लोक सभा चुनाव में भाजपा 28 में से 25 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन कांग्रेस की विधानसभा में बड़ी जीत के बाद पिछली जीत को दोहराना भाजपा के लिए संभव नहीं दिख रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीएस केवल एक सीट हासन ही जीत सकी थी। वहीं विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन और मात्र 19 सीटों पर सिमटने के बाद जेडीएस के लिए अब अस्तित्व का संकट है। ऐसे में वह भी भाजपा से गठबंधन कर अपना अस्तित्व बचाना चाहती है। यही कारण है कि वह एक बार फिर भाजपा से गठबंधन करना चाह रही है। जेडीएस ने बीजेपी से चार लोकसभा सीटों की मांग रखी है। जेडीएस मांड्या, हासन, बेंगलुरु ग्रामीण और चिकबल्लापुर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। अगर उसकी मांग पर सहमति बन जाती है तो दोनों के बीच गठबंधन हो जाएगा। जेडीएस की इस मांग पर फैसला भाजपा शीर्ष नेतृत्व को लेना है।
गठबंधन की राह में कई कांटे भी हैं
जेडीएस और बीजेपी गठबंधन की राह इतनी भी आसान नहीं है। कई बीजेपी नेता इस संभावित गठबंधन के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि बीजेपी अकेले अपने दम पर ही कर्नाटक में पिछला प्रदर्शन दोहरा सकती है। इस गठबंधन के विरोधी बीजेपी नेता मानते हैं कि जेडीएस अपनी खिसकती जमीन बीजेपी के बूते बचाना चाहती है और इसलिए ही गठबंधन करने की इच्छुक है।
ऐसे बीजेपी नेता कहते हैं कि बीजेपी और जेडीएस पूर्व में दो बार साथ आ चुके हैं। बीजेपी एक बार एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री भी बनवा चुकी है। लेकिन दोनों ही बार जेडीएस के साथ बीजेपी के अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा और जेडीएस के गठबंधन को कई बीजेपी नेता ही पसंद नहीं कर रहे और अंदरखाने इसका विरोध भी कर रहे हैं।
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