कृषि क़ानून वापस लेने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को विपक्षी दलों ने किसानों की जीत बताया है। किसान आंदोलन के कारण मोदी सरकार और बीजेपी को लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि टूट गया अभिमान, जीत गया मेरे देश का किसान। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि साल भर तक किसान डटे रहे, उन पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए लेकिन सात साल में पहली बार मोदी सरकार को झुकना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेश गया है कि देश एकजुट हो तो सरकार को झुकाया जा सकता है। आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि वे किसानों और पूरे देश को बधाई देते हैं।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस एलान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। अमरिंदर ने कहा था कि कृषि क़ानून वापस होने पर वे बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेंगे।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ‘आज तक’ से कहा कि इस काम में इतना वक़्त नहीं लगना नहीं चाहिए था और आख़िरकार प्रधानमंत्री ने इस बात को महसूस किया कि देश प्रजातंत्र के आधार पर चलता है न कि संख्या बल के आधार पर।
‘किसानों से माफ़ी मांगे सरकार’
दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ‘आज तक’ से कहा कि आज किसानों और लोकतंत्र की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को उन किसानों के परिवारों से माफ़ी मांगनी चाहिए जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी जान गंवाई है। उन्होंने कहा कि आख़िर सरकार किसानों को समझा क्यों रही थी, जबकि किसान ही खेती को सबसे बेहतर ढंग से समझता है। सिसोदिया ने कहा कि किसान आंदोलन पूरी तरह अहिंसक रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानून वापस लेने का एलान शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में किया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की भलाई के लिए ये क़ानून बनाए थे और इनकी मांग कई सालों से की जा रही थी। लेकिन किसानों का एक वर्ग लगातार इसका विरोध कर रहा था, इसे देखते हुए ही सरकार इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया को पूरा कर देगी। बता दें कि 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने आंदोलन कर रहे किसानों से आह्वान किया कि वे अब अपने घर लौट जाएं और एक नई शुरुआत करें।
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