केंद्र सरकार ने मंगलवार को आर्म्ड फोर्सेस में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का एलान किया है। इस योजना का एलान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया और इसे सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताया। इस मौके पर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों सेनाओं के प्रमुख भी उपस्थित रहे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है कि भारतीय आर्म्ड फोर्सेस का प्रोफाइल उतना ही युवा हो जितना कि भारतीय आबादी का है। उन्होंने कहा कि यह योजना देश की सुरक्षा को मजबूत करने एवं हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है।
इस योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। केंद्र सरकार ने बताया कि अगले 90 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और जुलाई 2023 तक पहला बैच तैयार हो जाएगा।
इस योजना के तहत जिन युवाओं का चयन सेनाओं में होगा उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा और इसमें चयन ऑनलाइन केंद्रीय सिस्टम के जरिए होगा।
क्या है योजना में खास?
अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के बाद युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर उन्हें 3.5 साल के लिए अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इस दौरान उनकी तनख्वाह 30000 से शुरू होगी और यह 40000 रुपए तक जाएगी। इस दौरान उनकी तनख्वाह का 30 फीसद पैसा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत रखा जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान हर महीने करेगी। इसके अलावा उन्हें भत्ते भी दिए जाएंगे। उन्हें मेडिकल और इंश्योरेंस सेवाओं का भी फायदा मिलेगा।
4 साल की नौकरी पूरी होने के बाद हर जवान के पास ब्याज मिलाकर एक 11.71 लाख रुपए की धनराशि होगी और यह पूरी तरह कर मुक्त होगी। इसके अलावा 48 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी अग्निपथ योजना के तहत शामिल होने वाले जवानों को 4 साल तक की अवधि के दौरान मिलेगा।
4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे और वे 15 साल तक सेना में फिर से सेवा करेंगे। जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा।
अग्निवीरों की शैक्षणिक योग्यता के लिए वही क्राइटेरिया होगा जो सेना में भर्ती होने के लिए होता है। यानी उन्हें 10 वीं पास होना जरूरी होगा।
अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं को भी आर्म्ड फोर्सेस में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने कहा कि अग्निपथ योजना का उद्देश्य सेना को भविष्य के लिए तैयार करना और इतना सक्षम बनाना है कि वह चुनौतियों का सामना कर सके। उन्होंने कहा कि आईआईटी और दूसरे तकनीकी स्थानों से अग्निवीरों की भर्ती होने के बाद सेना में तकनीकी दक्षता बढ़ेगी।
क्यों हो रही आलोचना?
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जब युवक और युवतियां आर्म्ड फोर्सेस से बाहर निकलेंगे तो वह क्या करेंगे, इस बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा है। आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए।
अहम बात यह है कि 4 साल के लिए भर्ती किए गए सभी युवक और युवतियों के मन में इस बात के लिए असुरक्षा रहेगी कि कहीं सेना से बाहर निकलने वाले 75 फ़ीसदी लोगों में उनका नाम ना हो।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को लागू करना चाहिए था और अगर योजना सफल होती तब इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए था।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की एक बड़ी सीमा चीन और पाकिस्तान से लगती है और भारत की इस बड़ी सीमा को 4 साल की अग्निपथ योजना के तहत ट्रेनिंग पाने वाले युवाओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। उसके लिए लंबी ट्रेनिंग कर चुके और सेना में स्थायी नौकरी वाले युवा ही चाहिए।
रक्षा विशेषज्ञों का सुझाव है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जवानों को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स में या सरकारी महकमों में नौकरी दी जानी चाहिए वरना 4 साल नौकरी करने के बाद जो लोग बेरोजगार होंगे, उनके गैरकानूनी कामों में शामिल होने का खतरा है।
जबकि केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही बीजेपी का कहना है कि 4 साल तक सेना में रहने के बाद वहां से निकले युवक और युवतियों के पास काफी अनुभव होगा और उन्हें मिली ट्रेनिंग के आधार पर नौकरी के मौके भी होंगे।
बीजेपी का कहना है कि 21 साल की उम्र में सरकार किसी को बेरोजगार नहीं कर रही है और सेना से बाहर निकलने वाले लोग पैरामिलिट्री फोर्स या राज्य की पुलिस में आने वाली नौकरियों के लिए आवेदन करेंगे तो वहां उन्हें सेना में दी गई ट्रेनिंग का फायदा मिलेगा और साथ ही उनके पास 12वीं का सर्टिफिकेट भी होगा और एक ठीक-ठाक बैंक बैलेंस भी होगा। उसे पैसे से वह कोई रोजगार भी कर सकते हैं।
सरकार को क्या फ़ायदा?
बीते कई सालों से पेंशन में दिए जाने वाला पैसा सरकारों के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है। सरकार को इस योजना से एक बड़ा फायदा यह भी है कि पूर्व सैनिकों को दी जाने वाली पेंशन का पैसा भी वह बचा सकेगी। इस योजना के सफल होने पर वार्षिक राजस्व और पेंशन बिल में कटौती होगी और यह कटौती हर साल के रक्षा बजट यानी कि 5.2 लाख करोड़ का आधा होगी।भर्ती ना होने से थे निराश
बता दें कि सेना की भर्ती ना होने की वजह से देश भर के युवा काफी निराश थे और इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपने दर्द को बयां किया था। कोरोना की वजह से भी बीते सालों में भर्ती नहीं हो सकी थी।
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