एक बात तो तय है कि डोनाल्ड ट्रंप ख़ुद के फ़ायदे और 'पहले अमेरिका' की नीति के लिए कुछ भी कर सकते हैं। भारत के साथ भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया। मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन अमेरिका को सप्लाई नहीं करने पर ट्रंप भारत को धमकी दे रहे थे। जब भारत ने अमेरिका को दवा की सप्लाई देने को हरी झंडी दे दी तो अब वही ट्रंप तारीफ़ कर रहे हैं। आख़िर ट्रंप चाहते क्या हैं, क्या सबकुछ वैसा चले जैसा वह चाहते हैं?
'फॉक्स न्यूज़' के साथ इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, 'मैंने लाखों खुराक खरीदी है। 29 मिलियन से अधिक। मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, इसका बहुत बड़ा हिस्सा भारत से आता है। मैंने उनसे पूछा कि क्या वह इसे जारी करेंगे? उनकी बात बहुत अच्छी थी। वास्तव में अच्छा। आप जानते हैं कि उन्होंने पाबंदी इसलिए लगाई क्योंकि वे इसे भारत के लिए रखना चाहते थे। लेकिन इससे काफ़ी अच्छी चीजें आ रही हैं...।'
ये वो शब्द हैं जो ट्रंप ने अब कहे हैं जब भारत की तरफ़ से दवाएँ जारी करने की बात कही गई है। लेकिन जब इन दवाओं की सप्लाई किए जाने पर स्थिति साफ़ नहीं थी तो यही ट्रंप धमकी दे रहे थे।
उन्होंने सोमवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था, 'भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों का फ़ायदा उठाता आया है। मुझे नहीं लगता है कि मोदी बदले की कार्रवाई के तहत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर रोक लगाएँगे। लेकिन यदि भारत ने अमेरिका को क्लोरोक्वीन दवा नहीं दी तो हम भी उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेंगे।’
कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए दुनिया के हर देश तैयारी में जुटे हैं और भारत भी इसी तैयारी में है। इसीलिए भारत ने दवाओं के विदेश में निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है। ऐसी ही पाबंदी अमेरिका ने भी लगाई है। हालाँकि भारत सरकार ने ज़रूरी दवाओं पर से प्रतिबंध यह कहते हुए हटा लिए हैं कि ज़्यादा प्रभावित देशों को यह सप्लाई की जा सकती है। लेकिन अमेरिका अपने देश की दवाओं पर लगाई गई पाबंदी को नहीं हटाना चाहता है और ट्रंप चाहते हैं कि दुनिया के दूसरे देश उनके लिए सारे दरवाजे खोल दें।
हालाँकि ट्रंप का रवैया कोरोना पर काफ़ी अजीबोगरीब रहा है। वह पहले कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे थे और इसे सामान्य फ्लू करार देते हुए कह रहे थे कि यह अपने आप ठीक हो जाएगा। अब वही ट्रंप दवाइयों का स्टॉक करने में लगे हैं और दुनिया के नेताओं के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर रहे हैं। अब उन्होंने ट्वीट कर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ और चीन पर भी निशाना साधा है।
The W.H.O. really blew it. For some reason, funded largely by the United States, yet very China centric. We will be giving that a good look. Fortunately I rejected their advice on keeping our borders open to China early on. Why did they give us such a faulty recommendation?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) April 7, 2020
ट्रंप ने ट्वीट में लिखा, 'डब्ल्यूएचओ का रवैया सचमुच अजीब है। किसी कारण से बड़े पैमाने पर वित्त पोषण संयुक्त राज्य अमेरिका करता है, फिर भी (यह) बहुत ज़्यादा चीन केंद्रित है। हम इसे अच्छी नज़र से देखेंगे। ख़ुशक़िस्मती है कि मैंने चीन के लिए हमारी सीमाओं को खुला रखने की उनकी सलाह को पहले ही अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने हमसे इतनी दोषपूर्ण सिफ़ारिश क्यों की?'
ट्रंप ने सीधे शब्दों में डब्ल्यूएचओ को चीन के प्रति पक्षपाती क़रार दिया और धमकी दी कि वह अमेरिका द्वारा दिये जाने वाले फंड को कम करेंगे। हालाँकि उन्होंने यह नहीं कहा कि इस फंड को कितना कम करेंगे। बता दें कि ट्रंप शुरू से ही चीन और डब्ल्यूएचओ के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहे हैं और कोरोना महामारी के लिए उन पर दोष मढ़ते रहे हैं।
अपनी राय बतायें