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कुछ लोग कश्मीर मामले को अफ़ग़ानिस्तान से जोड़ रहे हैं, इससे मामले को सुलझाने में कोई मदद नहीं मिलेगी। कश्मीर का मामला अफ़ग़ानिस्तान से जुड़ा हुआ नहीं है, और काबुल को दो देशों के बीच की प्रतिस्पर्द्धा में नहीं घसीटा जाना चाहिए।
जबीउल्लाह मुजाहिद, प्रवक्ता, तालिबान अफ़ग़ानिस्तान
पाकिस्तान को खरी-खोटी
पूर्व अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने भी इसलामाबाद को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर मसले का अफ़ग़ानिस्तान से कोई सम्बन्ध नहीं है और इसे किसी से जोड़ कर देखना यह बताता है कि पाकिस्तान इसे रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करना चाहता है।अमेरिका ने पल्ला झाड़ा
पर्यवेक्षकों का कहना है कि पाकिस्तान यह चाहता है कि कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका हस्तक्षेप करे। शुरू में अमेरिका ने इसमें रुचि भी ली थी। इसी वजह से राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करना चाहते हैं और ऐसा करने के लिए किसी और ने नहीं, ख़ुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कहा है। भारत ने तुरन्त इसका खंडन किया और किसी तरह की मध्यस्थता से इनकार कर दिया। बाद में अमेरिकी विदेश विभाग ने सफ़ाई देते हुए कहा कि कश्मीर दो देशों के बीच का मसला है और वे बातचीत कर शांति से सुलझाएँ। अमेरिका इसमें मध्यस्थता नहीं करेगा, पर बातचीत का समर्थन करेगा।पाकिस्तान के साथ चीन
पाकिस्तान का दोस्त चीन उसके साथ खड़ा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी बीजिंग गए और चीनी विदेश मंत्री याँग ली से मुलाक़ात की। याँग ली ने साफ़ कहा कि एकतरफा फ़ैसले से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उनका इशारा साफ़ था कि अनुच्छेद 370 में बदलाव करने का भारत का फ़ैसला ग़लत है।चीन ने बेहद होशियारी से इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच एक महीन संतुलन कायम करने की कोशिश की है। बीजिंग ने कहा कि कश्मीर समस्या द्विपक्षीय मामला है, जिसका समाधान आपसी बातचीत से किया जाना चाहिए, इसमें संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, उसके चार्टर और शिमला समझौते का ख्याल रखा जाना चाहिए।
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