अडानी समूह ने बुधवार को अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा दायर अभियोग में अपने अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अदानी और प्रमुख कार्यकारी विनीत जैन के खिलाफ आरोपों का खंडन किया। इन लोगों पर महारिश्वतखोरी और अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का आरोप है। अडानी समूह ने स्पष्ट किया कि उसके अध्यक्ष गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर एफसीपीए के तहत आरोप नहीं लगाया गया है, हाल के दावों को "गलत" बताते हुए खारिज कर दिया।
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में, आरोपों के केंद्र में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने कहा, "गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर अभियोग में निर्धारित मामलों में एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है।" हालांकि अमेरिकी न्याय विभाग ने एफबीआई की जांच के आधार पर अमेरिकी फेडरल कोर्ट को बताया कि अडानी समूह ने ग्रीन एनर्जी या सोलर एनर्जी के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को 22000 करोड़ रुपये देने की साजिश रची।
अडानी समूह की कंपनी ने कहा कि तीनों व्यक्तियों (गौतम, सागर, विनीत) पर कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश, वायर धोखाधड़ी साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी से संबंधित आरोप हैं - इन सभी पर अधिततम संभावित जुर्माना लगाया जा सकता है। यानी कंपनी यह कहना चाहती है कि अमेरिकी कोर्ट सिर्फ जुर्माना लगाएगी, जिसे अडानी समूह आसानी से जमा करा देगा। गौतम अडानी गिरफ्तार नहीं होंगे।
अडानी की ओर से दाखिल फाइलिंग में स्पष्ट किया गया कि अभियोग में जुर्माने या जुर्माने की कोई मात्रा तय नहीं है। कंपनी ने कहा, "हालांकि शिकायत में प्रतिवादियों को नागरिक मौद्रिक दंड (civil monetary penalties) का भुगतान करने का निर्देश देने वाले आदेश की मांग की गई है, लेकिन इसमें राशि की मात्रा तय नहीं की गई है।"
अमेरिकी कोर्ट के अभियोग में गौतम अडानी आदि पर अगले 20 वर्षों में 2 बिलियन अमरीकी डॉलर का लाभ कमाने वाले सोलर पावर कॉन्ट्रैक्टस पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है और कहा है कि वह अपने बचाव के लिए सभी जरूरी कानूनी कदम उठाएगा।
देश के दो बड़े वकील बुधवार को अडानी समूह के बचाव में उतरे। उन्होंने मीडिया को संबोधित किया। भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आरोपों में विश्वसनीय सबूतों का अभाव है। हमने अमेरिकी अदालत द्वारा इस अभियोग का अध्ययन किया है। हमारा आकलन है कि पाँच आरोप या पांच काउंट लगाए गए हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि काउंट एक और पांच अन्य की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं, लेकिन न तो काउंट 1 में और न ही काउंट 5 में गौतम अडानी या उनके भतीजे सागर अडानी पर आरोप लगाया गया है।
मुकुल रोहतगी ने कहा कि आरोप मुख्य रूप से कुछ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ हैं, अडानी के अधिकारियों के खिलाफ नहीं। उन्होंने कहा, "इस तरह के अस्पष्ट आरोपों से सार्थक प्रतिक्रिया देना असंभव हो जाता है।" वरिष्ठ वकील रोहतगी ने स्पष्ट किया कि ये उनके व्यक्तिगत कानूनी विचार थे। रोहतगी ने कहा- “मैं अडानी समूह का प्रवक्ता नहीं हूं। मैं एक वकील हूं और कई मामलों में अडानी समूह की ओर से पेश होता रहा हूं।''
मुकुल रोहतगी ने कहा- "अभियोग की काउंट संख्या 1 दोनों अडानी को छोड़कर कुछ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ है। इसमें उनके कुछ अधिकारी और एक विदेशी व्यक्ति शामिल हैं... पहला आरोप यह है कि यह अमेरिका द्वारा बनाए गए विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश है।" इसमें, गौतम अडानी और सागर अडानी का नाम नहीं है, उनके अधिकारियों का नाम हो सकता है।”
कांग्रेस ने ये कहाः कांग्रेस सांसदों ने संसद में इस मुद्दे को उठाना चाहा लेकिन उन्हें दोनों सदनों में अनुमति नहीं दी गई। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा- "हम सभी जानते हैं कि उन्होंने (अडानी समूह) भारत में भ्रष्टाचार किया है, अमेरिकी बाजार से, उन्होंने अमेरिकी कंपनियों से पैसा लिया था, और उन्होंने रिश्वत दी, खासकर आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की सरकार को। अडानी अब स्मार्ट खेल रहे हैं, हम सभी जानते हैं कि यह एक अमेरिकी कानून जो इस धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की बात करता है, वे केवल अमेरिकी नागरिकों को दंडित कर सकते हैं, अडानी अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, इसलिए वे उन्हें दंडित नहीं कर सकते... यह समझना महत्वपूर्ण है, कि भारतीय एजेंसियों को अब सो नहीं जाना चाहिए। पीएम मोदी तो सो ही रहे हैं। अडानी की रक्षा अब भारतीय एजेंसियों को नहीं करना चाहिए। सीबीआई को शिकायत दर्ज करनी चाहिए। जब मुकुल रोहतगी जैसे वरिष्ठ वकील (बचाव के लिए) आगे आ रहे हैं, तो यह उनकी वफादारी को दर्शाता है, सिस्टम अडानी का समर्थन कर रहा है, यह भारतीय निवेशकों का पैसा है, अडानी पीएम मोदी के समर्थन से ऐसा कर रहे हैं। हम मांग करते हैं कि इस पर संसद में चर्चा की जाए। भारतीय एजेंसियों को कार्रवाई करनी चाहिए और अडानी को गिरफ्तार करना चाहिए, यही बात राहुल गांधी कह रहे हैं।''
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