भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में जेल में बंद कवि और कार्यकर्ता वरवर राव को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। 80 वर्षीय वरवर राव के परिवार ने उनकी तबीयत ज़्यादा ख़राब होने की वजह से तत्काल रिहाई और अस्पताल में इलाज के लिए आग्रह किया था। इस पर अदालत ने इतना ज़रूर कहा कि वीडियो कॉल से डॉक्टरों का एक पैनल उनकी जाँच-पड़ताल करेगा।
वरवर राव दो साल से भी ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं। उनको जनवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर सख़्त ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया है। यह क़ानून वर्षों तक ट्रायल के बिना हिरासत में रखने की अनुमति देता है।
इसके बारे में वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि वरवर राव मुंबई के पास तलोजा जेल में बंद हैं। उनके सह-अभियुक्त, स्टैन स्वामी ने वकीलों को बुलाया और उन्हें सूचित किया था कि राव गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। इंदिरा जयसिंह वरवर राव के परिवार की ओर से पैरवी कर रही हैं।
इंदिरा जयसिंह ने हाईकोर्ट में बहस के दौरान कहा, 'उनका स्वास्थ्य लगातार ख़राब होता जा रहा है। वह बिस्तर पर हैं। उन्हें डायपर पहनाने की ज़रूरत पड़ती है। वह बिस्तर पर ही पेशाब करते हैं। उन्हें पेशाब की थैली लगाई गई है। क्या ऐसा व्यक्ति न्याय से भाग सकता है।'
उनके परिवार ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी हालत दिन ब दिन ख़राब हो रही है। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि तलोजा जेल में सुपर स्पेशियेलिटी अस्पताल जैसी सुविधाएँ नहीं हैं जहाँ पर वरवर राव जैसे ख़राब स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का इलाज किया जा सके।
इंदिरा जयसिंह ने दलील पेश करते हुए जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 का ज़िक्र किया। व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी का ज़िक्र ही रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की ज़मानत के दौरान भी आया था। बता दें कि अर्णब गोस्वामी भी तलोजा जेल में ही आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में बंद थे।
रोमिला थापर की चिट्ठी
वरवर राव के स्वास्थ्य को लेकर काफ़ी पहले से चिंताएँ जताई जा रही हैं। उनके स्वास्थ्य और उनकी रिहाई के लिए मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर और राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक ने भी प्रयास किए थे। उन्होंने इसी साल जुलाई महीने में महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी को एक चिट्ठी लिखी थी। रोमिला थापर ने अपने ख़त में कहा था कि मौजूदा स्थितियों में राव को जेल में रखना 'न क़ानूनी रूप से सही है न ही नैतिक रूप से।'
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इन लोगों ने यह भी माँग की थी कि राव का इलाज जे.जे. अस्पताल में कराया जाए। चिट्ठी में कहा गया है, 'इसका कोई ख़तरा नहीं है कि राव हवाई जहाज़ से उड़ कर कहीं चले जाएँगे, वह अपनी इच्छा से पिछले 22 महीनों से हर तरह की जाँच में सहयोग कर रहे हैं। न क़ानूनी रूप से न ही नैतिक रूप से यह उचित है कि उन्हें इन स्थितियों में जेल में रखा जाए जिससे पहले से ख़राब उनका स्वास्थ्य और बिगड़ जाए।'
बता दें कि जनकवि राव को भीमा कोरेगाँव मामले में गिरफ़्तार किया गया।
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