नामीबिया से लाए जा रहे 8 चीते शनिवार को ग्वालियर पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर इनमें से तीन चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा। चीतों को एक विशेष विमान से लाया गया है। इस विमान पर चीते का मुंह प्रिंट करके लगाया गया है। ग्वालियर के महाराजपुरा हवाई हड्डे पर उतरने के बाद चीतों को भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर कूनो नेशनल पार्क ले गया।
भारत में साल 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था लेकिन अब एक बार फिर भारत के जंगलों में चीते दिखाई देंगे। कूनो नेशनल पार्क का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि यहां पर हरी घास भी है और यहां पर चीते आसानी से शिकार भी कर सकते हैं।
घट रहे चीते
हालांकि एक आशंका यह भी है कि भारत की जलवायु चीतों के रहने के लिए कितनी अनुकूल होगी और चीतों का जंगलों में मौजूद तेंदुओं के साथ संघर्ष हो सकता है। दुनिया भर में चीतों की संख्या बहुत कम हो चुकी है और इनका आंकड़ा 7000 से भी कम है। इसमें भी अधिकतर चीते दक्षिण अफ्रीका के सवाना के जंगलों में पाए जाते हैं।
माना जा रहा है कि इनके भारत आने के बाद भारत में चीतों की संख्या बढ़ेगी। भारत में अफ्रीकी चीतों को लाए जाने की परियोजना की शुरुआत 2009 में हुई थी और इन्हें पिछले साल नवंबर तक लाया जाना था लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण इस परियोजना को लेकर देर हुई है। प्रोजेक्ट चीता को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जनवरी 2020 में स्वीकृति दे दी गई थी।
'प्रोजेक्ट चीता' का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ।
— Congress (@INCIndia) September 16, 2022
मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री @Jairam_Ramesh जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी।
अब चीते आएंगे pic.twitter.com/W1oBZ950Pz
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