हिमाचल चुनाव में फिर से कांग्रेस ने बहुमत पा लिया। पाँच साल पहले भी वह सत्ता में थी, लेकिन 2017 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। राज्य में 1985 से सरकार हर पाँच साल पर लगातार बदलती रही है। इस बार भी बदली। कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं। बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई। आख़िर ये कैसे हुआ? कांग्रेस को किस तरह के वोट मिले और बीजेपी को किस तरह के? जीत का अंतर कैसा रहा?
68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 35 विधायक चाहिए।
वैसे, सीटों के हिसाब से देखें तो कांग्रेस ने बहुमत पा लिया है, लेकिन वोट शेयर के हिसाब से देखें तो बीजेपी मामूली रूप से ही पीछे है। राज्य में इस चुनाव में कांग्रेस को 43.90 फ़ीसदी वोट मिले हैं। बीजेपी को 43 फ़ीसदी वोट मिले हैं। आप को सिर्फ़ 1.1 फीसदी वोट मिले।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। तीन सीटें अन्य ने जीती थीं। तब के चुनाव में बीजेपी को 48.8 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 41.7 फ़ीसदी वोट मिले थे।
राज्य में एससी-एसटी की 20 सीटें हैं। इस बार कांग्रेस ने जहाँ 12 सीटें जीती हैं वहीं बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं। 2017 के चुनाव में इन सीटों में से बीजेपी ने 15 और कांग्रेस ने 5 सीटें जीती थीं।
बहरहाल, इस बार भी राज्य में वही परंपरा कायम रही जो पिछले कई चुनावों से चलती आ रही है। एक बार बीजेपी का शासन तो अगली बार कांग्रेस का। पिछली सरकार बीजेपी की थी और इस बार कांग्रेस की बनने जा रही है। राज्य में ऐसा 1985 के बाद से ही होता चला आ रहा है। तब कांग्रेस जीती थी। 1990 में बीजेपी जीती, फिर 1993 में कांग्रेस, 1998 में बीजेपी, 2003 में कांग्रेस, 2007 में बीजेपी, 2012 में कांग्रेस, 2017 में बीजेपी और अब फिर से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा, कांग्रेस इसके लिए माथापच्ची कर रही है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और मंडी लोकसभा सीट से सांसद प्रतिभा सिंह का नाम सबसे ऊपर आ रहा है लेकिन प्रतिभा सिंह के संसदीय क्षेत्र मंडी में कांग्रेस बुरी तरह हारी है।
मंडी संसदीय क्षेत्र की 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है। ऐसे में सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पद पर प्रतिभा सिंह का दावा किस तरह मजबूत बैठता है क्योंकि वह अपने संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को नहीं जिता सकी हैं।
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