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हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह

हिमाचल कांग्रेस संकटः  प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह खुलकर बागियों के समर्थन में उतरीं

हिमाचल विधानसभा स्पीकर ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बाद शिमला में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह ने मीडिया के सामने ही लगभग बगावत का ऐलान कर दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने गुरुवार को छह बागी कांग्रेस विधायकों की शिकायत को जायज ठहराया और कहा कि इसका 2024 के लोकसभा चुनाव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने अयोग्य ठहराए गए छह विधायकों के मोहभंग को उचित ठहराते हुए कहा कि किसी ने भी उन लोगों की शिकायतों का समाधान करने की कोशिश नहीं की। प्रतिभा ने कहा- “एक साल से अधिक समय हो गया है जब से वे अपनी शिकायतें व्यक्त कर रहे हैं। अगर कोई समाधान निकाला गया होता, तो इस स्थिति को टाला जा सकता था।”

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प्रतिभा ने कहा- “हमने केंद्रीय पर्यवेक्षकों को अपनी शिकायतों और वर्तमान राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया है और उनसे कहा है कि देखें कि क्या करना है। प्रतिभा ने कहा, हम उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।

प्रतिभा के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कहा- ''छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के अध्यक्ष के फैसले पर टिप्पणी करना उनके लिए अनुचित होगा। मैंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है और पर्यवेक्षकों द्वारा मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों पर समाधान का इंतजार कर रहा हूं।''

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस संकट हल करने के लिए फौरन ही डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा। दोनों पर्यवेक्षकों ने सबसे पहले तो सरकार बचाने का काम किया और गुरुवार सुबह से उन्होंने एक होटल में विधायकों को अलग-अलग बुलाकर बात की। प्रतिभा वीरभद्र सिंह खेमा झुकने को तैयार नहीं है।

विक्रमादित्य ने कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए बुधवार रात को सुक्खू मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था। बाद में शाम को पर्यवेक्षकों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वह अपने इस्तीफे के लिए दबाव नहीं डालेंगे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा वापस नहीं लिया है। इस्तीफा देते हुए विक्रमादित्य ने भी सुक्खू के कामकाज करने के तरीके पर नाराजगी जताई थी।

अयोग्य विधायक हाईकोर्ट जाएंगे

अयोग्य ठहराए गए छह कांग्रेस विधायकों ने गुरुवार को कहा है कि स्पीकर का फैसला जल्दबाजी और मुख्यमंत्री के दबाव में लिया गया है, जिसे वे अदालत में चुनौती देंगे। सुजानपुर से तीन बार के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी। दो अयोग्य विधायक राणा और सुधीर शर्मा ने कहा कि उन्हें विधानसभा से कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा- “जब हम बुधवार को विधानसभा आए, तो अध्यक्ष सदन में मौजूद नहीं थे। हमने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सदन में मौजूद रहने की हमारी तस्वीरें कैमरे में कैद हो गईं।”

धर्मशाला से चार बार के कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि वह इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे। शर्मा ने कहा- “सरकार का पतन बहुत नजदीक है और राज्य के हित में है। मैं डरकर राजनीति करने में विश्वास नहीं रखता।''

कांग्रेस में वापस लौटने का सवाल नहींः बागी विधायक

राणा ने कहा कि चैतन्य शर्मा को छोड़कर अन्य पांच विधायकों में से किसी को भी अयोग्यता के संबंध में विधानसभा से नोटिस नहीं मिला। राणा ने कहा, "उस नोटिस के आधार पर, हम सभी ने बुधवार दोपहर 1.15 बजे तक अपना जवाब दाखिल किया था और अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था। हम पिछले 14 महीनों से अपमान सह रहे थे और आलाकमान को इस बारे में अवगत कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।” चंडीगढ़ के पास पंचकुला के एक होटल में डेरा डाले हुए छह विधायकों ने कहा कि वे अपनी रणनीति बनाएंगे और आदेश के खिलाफ कानूनी सहारा लेंगे। कांग्रेस में वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है। सीएम झूठ बोल रहे हैं कि हम उनके संपर्क में हैं।”

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क़मर वहीद नक़वी
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