जिस हरियाणा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की थी, वहां दबंगों ने दिनदहाड़े एक लड़की की हत्या कर दी। यह घटना सोमवार को दिल्ली से सटे फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में हुई है। लड़की उस वक़्त एग्जाम देकर कॉलेज से बाहर निकल रही थी।
लड़की के परिजनों ने मामले में ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाया है। परिजनों और उनके परिचितों ने फरीदाबाद-मथुरा रोड को जाम कर दिया लेकिन पुलिस ने लोगों को समझा-बुझाकर जाम खुलवा दिया। लड़की का नाम निकिता तोमर है।
लोगों के बढ़ते ग़ुस्से को देखते हुए हरियाणा सरकार ने घटना की एसआईटी जांच कराने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
घटना के वायरल वीडियो में दिखाई देता है कि 21 साल की यह लड़की जब अपने कॉलेज से वापस आ रही थी तो रास्ते में अभियुक्त अपने एक साथी के साथ उसका इंतजार कर रहा था। लड़की के आते ही उसने उसे अगवा कर गाड़ी में बैठाने की कोशिश की लेकिन लड़की ने इनकार कर दिया। लड़की ने अपनी जान बचाने और वहां से जा रही एक दूसरी लड़की के पीछे छिपने की कोशिश की।
अभियुक्त जब लड़की को अगवा करने में असफल रहा तो उसने उसके सिर में गोली मार दी और साथी के साथ गाड़ी लेकर भाग गया।
परिजनों का आरोप है कि यह लव जिहाद की घटना है। 2018 में भी निकिता के परिजनों की ओर से तौसीफ़ के ख़िलाफ़ अपहरण का केस दर्ज कराया गया था लेकिन तब परिवार ने आगे की कार्रवाई से इनकार कर दिया था।
परिजनों का दबाव बढ़ने पर पुलिस ने मंगलवार को दोनों अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया। मुख्य अभियुक्त का नाम तौसीफ़ है और दूसरे का नाम रेहान है। दोनों हरियाणा के नूंह के रहने वाले हैं। बताया गया है कि तौसीफ़ मेवात जिले की नूंह सीट से कांग्रेस के विधायक का रिश्तेदार है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया। परिजनों के आरोप के बाद कुछ लोगों ने भी इसे ‘लव जिहाद’ से जोड़ दिया और समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ कई पोस्ट्स कीं। निकिता को न्याय दिलाने के लिए #justice4Nikita भी ट्रेंड कराया गया।
पुलिस पर सवाल
मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। अगर पुलिस 2018 में ही तौसीफ़ के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करती तो शायद उसकी दिनदहाड़े इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने की हिम्मत नहीं होती। घटना के बाद बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे स्थानीय लोगों ने भी यही कहा कि पुलिस को ऐसी सख़्ती तब दिखानी चाहिए थी, जैसी वह अब दिखा रही है। यह घटना हरियाणा की क़ानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है और बताती है कि खट्टर सरकार में आम आदमी महफूज नहीं है।
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