आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए एक और राज्य सिरदर्द बन सकता है। इस राज्य का नाम है हरियाणा। हरियाणा कांग्रेस के 19 विधायकों ने सोमवार को कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से मुलाक़ात की और प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई।
इन विधायकों का कहना था कि हरियाणा में मज़बूत नेतृत्व की ज़रूरत है और इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
प्रभारी से भी मिले थे
कुछ दिन पहले ही इन 19 विधायकों ने पार्टी के राज्य प्रभारी विवेक बंसल से भी मुलाक़ात की थी और तब भी हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग की थी। ये सभी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कट्टर समर्थक हैं। हालांकि बंसल ने कहा था कि किसी भी विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग नहीं उठाई है।
बढ़ेगा सिरदर्द
कांग्रेस आलाकमान इन दिनों वैसे ही बेहद परेशानी से गुजर रहा है। पंजाब में सिद्धू-बनाम अमरिंदर की जंग ने उसे परेशान किया हुआ है तो राजस्थान में पायलट-गहलोत गुट का झगड़ा नहीं थम रहा है, इसके अलावा केरल कांग्रेस में वीडी सतीशन को नेता विपक्ष बनाए जाने से वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला और ओमन चांडी मुंह फुलाए बैठे हैं और सिरदर्द बढ़ाने के लिए हरियाणा के विधायकों ने नई मांग रख दी है।
शैलजा गुट का पलटवार
ताज़ा दौर में हरियाणा कांग्रेस की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा के पास है। हुड्डा के समर्थकों ने जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति न होने का मुद्दा भी पार्टी हाईकमान के सामने उठाया है जबकि कुमारी शैलजा के समर्थकों ने हुड्डा कैंप पर आरोप मढ़ा है कि वे जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में रोड़े अटका रहे हैं।
कांग्रेस के लिए मौक़ा
राज्य में बीते एक साल में हालात तेज़ी से बदले हैं। किसान आंदोलन के कारण बीजेपी-जेजेपी के विधायकों, मंत्रियों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इंडियन नेशनल लोकदल की हालत पतली है और उसे बीते विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ 1 सीट मिली थी। ऐसे में कांग्रेस के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
किसान आंदोलन के कारण बीजेपी और जेजेपी के कई विधायकों में बेचैनी है। कोई नहीं जानता कि खट्टर-दुष्यंत की यह मिली-जुली सरकार कितने दिन चलेगी। ऐसे में अगर सरकार गिरती है तो फिर से चुनाव होंगे और उस हालात में कांग्रेस की संभावना मज़बूत है क्योंकि बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का विरोध अब आम बात हो चुकी है।
गुटबाज़ी जोरों पर
प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी तमाम बड़े नेताओं के यहां अपने-अपने गुट हैं और गुटबाज़ी जारी है। कांग्रेस यहां विधायक दल की नेता रहीं किरण चौधरी, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा के गुटों में बंटी हुई है। लेकिन इन सभी में हुड्डा की पूरे राज्य में अच्छी पकड़ है और वह इसे साबित भी कर चुके हैं।
शैलजा को हटाना आसान नहीं
लेकिन कांग्रेस आलाकमान के लिए कुमारी शैलजा को पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाना आसान नहीं होगा। उसे दलित समुदाय की नाराज़गी का डर तो रहेगा ही, कहीं अशोक तंवर की तरह कुमारी शैलजा ने भी पार्टी को छोड़ने का क़दम उठा लिया तो फिर पार्टी के लिए अकेले हुड्डा के दम पर सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो जाएगा।
हुड्डा की पकड़ मज़बूत
लेकिन हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा को सबसे ताक़तवर नेता माना जाता है। राहुल गांधी के क़रीबी नेताओं में शुमार रहे अशोक तंवर को हुड्डा के ही दबाव में अध्यक्ष पद से हटाना पड़ा था और इसके बाद तंवर ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। तंवर की जगह पर कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनाया गया था।
हुड्डा ने विधानसभा चुनाव में अपनी ताक़त दिखाई थी और तब कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी और इनमें अधिकतर विधायक हुड्डा के समर्थक थे। बड़ी बात यह थी कि हुड्डा ने बीजेपी को अकेले दम पर सरकार बनाने से रोक दिया था और उसे जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी थी। हुड्डा दस साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहने के साथ ही वर्तमान में विधायक दल के नेता भी हैं।
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