आदमपुर के नवनिर्वाचित विधायक भव्य बिश्नोई ने 24 साल चार महीने बाद अपने पिता कुलदीप बिश्नोई का इतिहास दोहराया है। पिता-पुत्र दोनों एक ही विधानसभा क्षेत्र आदमपुर से उपचुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा में पहुँचे हैं। पिता-पुत्र की इस राजनीतिक यात्रा में एक और समानता है। दोनों के लिए उनके अपने अपने पिता ने सीट खाली की हैं; हालाँकि सीट छोड़ने की वजह दोनों के लिए अलग अलग थी।

आदमपुर सीट पर दशकों से भजनलाल परिवार का कब्जा रहा है। अब भव्य बिश्नोई इस सीट से जीते हैं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले कुलदीप बिश्नोई क्या आदमपुर और हिसार के बाहर भी हरियाणा की राजनीति में असर दिखा पाएंगे?
भजन लाल 1996 में आदमपुर सीट से विधायक चुने गए थे। 1987 को छोड़ कर प्रत्येक चुनाव में भजन लाल आदमपुर से लगातार जीत दर्ज कर रहे थे। भजन लाल ने 1987 में इस सीट से पत्नी जसमा देवी को चुनाव लड़ाया और वो विजयी हुईं।
भजन लाल विधायक रहते करनाल लोकसभा क्षेत्र से काँग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए। उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा। आदमपुर सीट खाली हो गई और यहाँ उपचुनाव में भजन लाल ने बेटे कुलदीप बिश्नोई को टिकट दिलवा दिया।