हिंदी फ़िल्म ‘सिंघम’ का एक मशहूर डायलॉग है। ‘पुलिस अगर चाहे तो किसी चोर की भी हिम्मत नहीं कि मंदिर से जूते भी चोरी कर सके।’ हमारे यहाँ पुलिस शायद ही कभी ऐसा चाहती है। वो फिर चोरी हो, दंगा हो, या फिर विकास दुबे जैसे गैंगस्टर का मामला। ऐसे में गुजरात के सूरत में हाल ही में बनी एक घटना एक सुखद अपवाद है। यही वजह है कि सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया में हर जगह उसकी चर्चा है।
गुजराती लेडी सिंघम जिसने मंत्री को डाँट दिया!
- विचार
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- 16 Jul, 2020

सुनीता ने इस्तीफ़ा तो दे दिया पर हार नहीं मानी। उन्होंने सबको सबक़ सिखाने की ठान ली। अब गुजरात सरकार का इतना रायता फैला कि मुख्यमंत्री को अपने मंत्री को डाँटना पड़ा। भले ही सुनीता की तरह नहीं, ज़रा हलके से। पर वायरल वीडियो और मीडिया रिपोर्टिंग से दबाव इतना बढ़ा कि आख़िर मंत्री के बेटे और उनके दोस्तों पर सूरत पुलिस को कर्फ्यू भंग के मामले में बाक़ायदा एफ़आईआर दर्ज करनी पड़ी। यह भी देश में पहली बार हुआ।
बात कुछ यूँ है। कोरोना के इस अनलॉक- 2 के दौर में, रात दस बजे कर्फ्यू लग जाने के आधे घंटे बाद, सूरत की एक सड़क पर निकली एक कार में सवार चार लड़कों को पुलिस बंदोबस्त में खड़ी एक एलआरडी सदस्या ने रोका। एलआरडी यानी लोक रक्षक दल। जो गुजरात में बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार देने के लिए और पुलिस में नयी भर्ती न करनी पड़े इसलिए पुलिस की सहायता में बनाया गया है। जो हायरार्की में पुलिस कॉन्स्टेबल से भी नीचे आता है, और मामूली-सी तनख्वाह में वो लोग पुलिस की ड्यूटी करते हैं। वो पुलिस नहीं है, पर उनको पुलिस की ख़ाकी वर्दी मिलती है और एक डंडा भी।