गोवा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरूवार रात को आठ उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत को मढ़गांव सीट से उम्मीदवार बनाया है। 2017 के चुनाव में बीजेपी को 13 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन बीजेपी ने जोड़-तोड़ कर सरकार बना ली थी।
पार्टी ने मापुसा विधानसभा सीट से सुधीर कनोलकर, तालेगांव सीट से टोनी रॉड्रिक्स और पोंडा निर्वाचन क्षेत्र से राजेश वेरेनकर को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस को गोवा फ़ॉरवर्ड पार्टी (जीएफ़पी) का साथ मिला है और 40 सीटों वाले राज्य में कांग्रेस कुछ सीटें जीएफ़पी के लिए भी छोड़ेगी। जीएफ़पी के पास तीन विधायक हैं। जीएफ़पी ने इस साल अप्रैल में एनडीए से नाता तोड़ लिया था।
फलेरो के जाने से झटका
कांग्रेस को बड़ा झटका तब लगा था जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता लुइजिन्हो फलेरो टीएमसी में शामिल हो गए थे। फलेरो गोवा में टीएमसी का विस्तार करने में जुटे हैं। वह राज्य की राजनीति के बड़े चेहरों को टीएमसी के साथ लाने के काम में जुटे हैं। टीएमसी को बीजेपी के एक पुराने सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का साथ मिल गया है।
टीएमसी के अलावा आम आदमी पार्टी भी यहां जोर-शोर से मैदान में उतरी है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल लगातार गोवा का दौरा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि टीएमसी और आम आदमी पार्टी यहां कांग्रेस को नुक़सान पहुंचा सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
गोवा में हर सीट पर 20 से 25 हज़ार वोटर हैं। ऐसे में यहां जीत के लिए हर दल को पूरा जोर लगाना पड़ेगा क्योंकि आमतौर पर हार-जीत का फासला कुछ ही वोटों के अंतर से होता है। राज्य में हिंदू के साथ ही ईसाई मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं।
निश्चित रूप से टीएमसी और आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आने से बीजेपी को मदद मिलेगी। लेकिन कोरोना काल के दौरान हुई बदइंतजामियां, बढ़ती महंगाई बीजेपी के लिए मुद्दा बनी हुई है। हालिया उपचुनाव के नतीजों में भी उसे इसका पता चल गया है।
अपनी राय बतायें