जब भी मैं किसी रेप की ख़बर पढ़ता हूँ या फ़िल्म में कोई रेप सीन देखता हूँ तो मुझे अनामिका की याद आ जाती है। उसके द्वारा बताया गया सारा सीन आँखों के आगे नाचने लगता है और आँखों से टप-टप आँसू बहने लगते हैं। इस बार भी यही हुआ जब मैंने ‘सिंबा’ देखी। कहानी में एक चरित्र है मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली एक युवती का जो ड्रग्स का धंधा करने वालों का पीछा करती है। पता लगने पर वे उससे बलात्कार करते हैं और उसको इतना ज़ख़्मी कर देते हैं कि अस्पताल में उसकी मौत हो जाती है। कहानी आगे बढ़ती है कि कैसे हीरो रेपिस्टों को गोली मार कर अपनी उस मुँहबोली बहन के साथ हुए अन्याय का बदला लेता है।