जब भी मैं किसी रेप की ख़बर पढ़ता हूँ या फ़िल्म में कोई रेप सीन देखता हूँ तो मुझे अनामिका की याद आ जाती है। उसके द्वारा बताया गया सारा सीन आँखों के आगे नाचने लगता है और आँखों से टप-टप आँसू बहने लगते हैं। इस बार भी यही हुआ जब मैंने ‘सिंबा’ देखी। कहानी में एक चरित्र है मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली एक युवती का जो ड्रग्स का धंधा करने वालों का पीछा करती है। पता लगने पर वे उससे बलात्कार करते हैं और उसको इतना ज़ख़्मी कर देते हैं कि अस्पताल में उसकी मौत हो जाती है। कहानी आगे बढ़ती है कि कैसे हीरो रेपिस्टों को गोली मार कर अपनी उस मुँहबोली बहन के साथ हुए अन्याय का बदला लेता है।
ख़ुश है अनामिका, उसने अपने रेपिस्ट से बदला ले लिया है
- दिल से
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- नीरेंद्र नागर
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- 5 Jan, 2019

अनामिका (यह उसका असली नाम नहीं है) के साथ भी गैंगरेप हुआ था हालाँकि रेपिस्टों ने उसकी हत्या नहीं की थी। ऐसी ही सर्दियों में रात दस बजे के आसपास तीन युवकों ने दिल्ली की एक सुनसान सड़क पर उसे अकेला पाकर दबोच लिया था और एक मैदान में घंटा-डेढ़ घंटा उसके शरीर के साथ जो चाहा, करते रहे। जाते समय यादगार के रूप में उसकी जैकिट ले गए और उसे और ज़लील करने के लिए उसकी टीशर्ट भी फाड़ गए थे। रात क़रीब तीन बजे तक वह वहीं खुले में पड़ी रही इस इंतज़ार में कि कब शहर का हर बंदा अपने घर पहुँच जाए ताकि वह बिना किसी की नज़रों में पड़े अपने अधनंगे शरीर को छुपाते हुए अपने घर में दाख़िल हो सके जहाँ वह अकेली रहती थी। अपने उस अनुभव को उसने इन शब्दों में बयाँ किया था -
- कभी अपनी कलाई ख़ुद मरोड़कर देखिएगा। और फिर महसूस कीजिएगा कि पूरे तीन घंटे तक जिसको हर जगह से मरोड़ा गया हो, बार-बार और लगातार मारा-पटका गया हो, अनहद दर्द होते हुए भी चीखने तक की इजाज़त न दी गई हो और एक ही साथ पूरे शरीर पर रेंगते हुए तीन हैवानों का बोझ बर्दाश्त करवाया गया हो उसको, उस रात कैसा लग रहा होगा।
लेकिन आज मैं उस रेप की बात नहीं करने जा रहा। उसके बारे में मैं 2015 में लिख चुका हूँ। (पढ़ें - रेप और उसके बाद - रोज़ जीना, रोज़ मरना)। आज मैं उस दूसरे रेप के बारे में लिखने जा रहा हूँ जो उसके साथ फिर हुआ। और इस बार करने वाला कोई अपरिचित नहीं था, एक युवक था जिससे उसका सालों का रिश्ता था और जिससे वह अगाध प्रेम करती थी।
वह उसका पहला-पहला प्यार था। सचमुच वाला प्यार। लड़का विधर्मी था हालाँकि इसके बारे में उसे बाद में जाकर पता चला लेकिन उससे उसके प्यार में कोई अंतर नहीं आया। वह उससे इतना प्यार, उसपर इतना विश्वास करती थी कि उसने उसे विदेश में जाकर पढ़ने के लिए काफ़ी रुपये भी दिए।
लेकिन इसी बीच यह घटना घट गई। अनामिका ने उसे बताया, सबकुछ बताया ईमानदारी से। यह भी कि उस घटना के बाद कैसे उसका गर्भ ठहर गया था जिसे उसे न चाहते हुए भी गिराना पड़ा। उसे उम्मीद थी कि वह उसके आँसू पोछेगा, उसे सहारा देगा।
जब दोस्त ही बन गया हैवान
एक दिन। अनामिका को उसने कॉल किया। बार-बार कॉल किया। अनामिका का मोबाइल साइलंट पर था और उसे पता नहीं चला। बाद में जब मिली तो वह उस पर बिफर पड़ा यह कहते हुए कि ‘तुम्हारी यह हिम्मत कि मेरे फ़ोन को इग्नोर करो। आज मैं तुमको मज़ा चखाता हूँ।’ और फिर उसने कॉल न सुनने के कथित अपराध के लिए उसके साथ वही किया जो उस दिन उन अनजान रेपिस्टों ने किया था। वह भी अपने दोस्त के सामने। उसने कहा, ‘तेरे साथ सही हुआ। तू है ही इस लायक़।’